advertisement
वाराणसी (Varanasi) स्थित श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) में देश दुनिया की निगाहें अब कोर्ट पर टिकी हैं. इसके इतर संत समाज और इतिहासकार अपने-अपने ढंग से मंदिर को अपना बताने में लगे हुए हैं. तमाम विरोध के बीच काशी में गंगा जमुनी तहजीब कायम है. जिला जज वाराणसी की अदालत में मुकदमे की सुनवाई चल रही है.
उन्होंने कहा कि यह मंदिर था मंदिर है और मंदिर ही रहेगा. उन्होंने "मासीरे आलम गिरी" किताब का हवाला देते हुए कहा कि इस किताब में औरंगजेब ने जब-जब मंदिर गिराया है, उसका उल्लेख किया गया है.
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव एसएम यासीन का दावा है की कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वे के दौरान हिंदू समाज जिस शिवलिंग के मिलने का दावा कर रहा है, वह वास्तव में फव्वारा है. उन्होंने कहा कि अगर मुझे मौका मिलेगा तो मैं उस फव्वारे को चालू करके दिखा सकता हूं, जितने भी पुराने मस्जिद है वहां हौज होता है और हौज में फव्वारा होता है. इससे पानी की सफाई होती है और वह ठंडा भी रहता है.
मां श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में वादी लक्ष्मी देवी के पति डॉक्टर सोहन लाल आर्य का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं मंदिर है, हम कोर्ट के माध्यम से इसे हर हाल में वापस लेंगे. सन 1984 से उनके मन में बाबा के मुक्ति का संकल्प है. इसके लिए उन्होंने लगातार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कई आंदोलन किए. 2021 में भी महिलाओं को संगठित करके अदालत में वाद दाखिल कराया.
महादेव, गणेश, कार्तिक मंदिर के अंदर हैं. साल भर में सिर्फ 1 दिन मां की चौखट के दर्शन होते हैं. इससे दुखी होकर दर्शन करने आने वाली 4 महिलाओं ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन के माध्यम से आखिरकार 2021 में वाद दाखिल किया था.
प्रोफेसर राणा पीवी सिंह का कहना है कि बीएचयू में इतना बड़ा विभाग है लेकिन आज तक इस विषय पर कोई शोध नहीं किया गया. उन्होंने कहा काशी को टूरिज्म प्लेस कहना दुखदाई है, काशी मोक्ष की नगरी है, तीर्थ स्थल है. विदेशी भी काशी की आबोहवा में भगवान को ढूंढने आते हैं. यहां वर्तमान में जो भी हो रहा है, यह सिर्फ दो लोगों को खुश करने के लिए हो रहा है, यह ठीक नहीं है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)