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वीडियो ए़डिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
आर्टिकल 370 बेअसर होने और जम्मू-कश्मीर से विशेष अधिकार हटने के बाद WhatsApp यूनिवर्सिटी में टिप्पणियों की बाढ़ आती है. कुछ बेहूदा किस्म के लोग कश्मीर की लड़कियों को लेकर घटिया कमेंट करते हैं. एक राज्य का मुख्यमंत्री.. जी हां.. मुख्यमंत्री, मंच पर अपने भाषण में उस कमेंट का जिक्र करता है और कहता है- ‘वो मजाक की बात है’. मजाक की बात?
खट्टर हरियाणा के फतेहाबाद इलाके में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाते-गिनवाते बात ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान पर आ गई. उन्होंने हरियाणा में लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के अनुपात में सुधार पर खुद अपनी पीठ ठोकी. बोलते-बोलते अपनी ही सरकार के एक मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के एक पुराने विवादित बयान का जिक्र किया और फिर कश्मीर की लड़कियों से जुड़ी एक टिप्पणी को मजाक बता डाला.
मजाक की बात? अब ये बात या तो किसी किसी शोहदे की नजर में मजाक हो सकती है या उग्र पुरुष सत्तावादी की नजर में.
वैसे हैरानी की बात ये है भी कि पहले न्यूज एजेंसी एएनआई ने सीएम खट्टर के बयान का एक वीडियो ट्वीट कर जारी किया. बवाल मचा तो ट्वीट हटा लिया और नया वीडियो जारी किया, जिसमें खट्टर मजाक की बात कर रहे हैं.
साल 2014 में हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने से पहले खट्टर का रिश्ता आरएसएस यानी संघ से रहा है. खट्टर जी की जुबान और विवादित बयान का रिश्ता कोई नया नहीं है. पिछले साल बलात्कार को लेकर उन्होंने कहा था
अक्टूबर 2014 में खट्टर ने कहा था “अगर कोई लड़की शालीन दिखने वाले कपड़े पहनती है तो कोई लड़का उसे गलत ढंग से नहीं देखेगा.”
जब उनसे लड़कियों और लड़कों की आजादी के विकल्प के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा
वाह खट्टर साहब वाह.. यानी जब आप ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान पर अपनी पीठ ठोकते हैं तो बेटियों को बचाने का यही नुस्खा आपके दिमाग में रहता होगा. उनकी आजादी को सीमित कर. उन्हें जंजीरों में बांधकर या फिर उन्हें घर की चारदीवारी में कैद कर.
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