Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हाथरस केस:पीड़ित परिवार को साल भर बाद भी इंसाफ का इंतजार, बोला-हम कैद में जी रहे

हाथरस केस:पीड़ित परिवार को साल भर बाद भी इंसाफ का इंतजार, बोला-हम कैद में जी रहे

Hathras पीड़िता के परिवार का कहना है कि घटना के बाद से उनका जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है।

अस्मिता नंदी
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>पीड़िता को अब न्‍याय मिलने का इंतजार है </p></div>
i

पीड़िता को अब न्‍याय मिलने का इंतजार है

(फोटो:क्विंट हिंदी)

advertisement

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras, UP) जिले के एक छोटे से गांव चांदपा में न्याय, मुआवजे और सम्मान के लिए- इंतजार का एक साल हो गया है.

एक साल पहले, 14 सितंबर 2020 को गांव में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ कथित तौर पर चार उच्च जाति के लोगों द्वारा बलात्कार और क्रूरता की गई थी. दो सप्ताह के बाद, जब उसने दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया, तो उसके शरीर को वापस गांव ले जाया गया और यूपी पुलिस(UP Police) ने जबरन उसका अंतिम संस्कार कर दिया था.

हाथरस गांव में सीआरपीएफ के कम से कम 30-40 जवान लगातार पीड़ित परिवार पर नजर रखे हुए हैं.

(Photo: Asmita Nandy/The Quint)

"घटना के बाद से हमें सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की गई थी. इसलिए हमें कहीं भी जाने की अनुमति नहीं है. हम तभी बाहर जाते हैं जब हमारे पास अदालत जैसा कुछ काम होता है या राशन मिलता है (लेकिन तब भी पुलिस हमारा साथ होती है). हम अपने खेतों में भी नहीं जा सकते. ऐसा लगता है जैसे हमारी ज़िंदगी किसी पिंजरे में कैद है."
पीड़िता का बड़ा भाई

सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2020 के आदेश के अनुसार, इस ठाकुर बहुल गांव में सीआरपीएफ के कम से कम 30-40 अधिकारी लगातार पीड़ित परिवार की निगरानी कर रहे हैं. पीड़िता के भाई आगे कहते हैं, "वे यहां हमारी सुरक्षा के लिए हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें अब भी उस गांव में सुरक्षा की जरूरत है, जहां हम पैदा हुए और पले-बढ़े."

चौबीसों घंटे सुरक्षा और बाकी गांव से पूरी तरह कट जाने के बावजूद परिवार को दुश्मनी से नहीं बख्शा गया है. पांच मार्च को हाथरस जिला अदालत में, जहां मामले की सुनवाई अभी चल रही है, पीड़िता के वकील और भाई को कथित तौर पर धमकाया गया.

इस घटना ने पूरे देश में सदमे की लहर पैदा कर दी थी, तब राजनेता, मीडिया और कार्यकर्ता युवा लड़की के न्याय के लिए डेरा डाले हुए थे. कई दक्षिणपंथी और उच्च जाति समूहों के सदस्य भी थे, जो आरोपी का समर्थन करने के लिए गांव में आते थे. देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए, विपक्षी नेताओं पर लाठीचार्ज किया गया और यूपी पुलिस ने 'तनाव पैदा करने की साजिश' का खुलासा करने का दावा किया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

धीरे-धीरे, मीडिया की चकाचौंध फीकी पड़ गई, विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गए. लेकिन, पीड़ित परिवार के छह सदस्यों की जिंदगी पलट गई है.

"मेरी पूछताछ हाथरस की अदालत में चल रही थी (5 मार्च को), कुछ वकीलों ने अदालत में प्रवेश किया और हमारे वकील को डराने-धमकाने की कोशिश की. उन्होंने उसे जान से मारने की धमकी दी. मुझे डर था कि कहीं हाथापाई न हो जाए क्योंकि माहौल इतना गर्म हो गया था. जज ने खुद पुलिस से कहा कि हमारे वकील को हाथरस बॉर्डर तक ले जाएं."
पीड़िता का बड़ा भाई

हाथरस जिला अदालत जहां दलित लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में सुनवाई चल रही है.

(Photo: Asmita Nandy/The Quint)

दूसरी ओर, पीड़िता के घर के ठीक सामने रहने वाले आरोपी संदीप, रवि, रामू और लवकुश के परिवार अभी भी बलात्कार से इनकार करते हैं और 'ऑनर किलिंग' का आरोप लगाते हैं. रवि का भाई, जिसने पहले दावा किया था कि पीड़िता का परिवार 'एक नाटक कर रहा है', पीड़िता के अंतिम बयान और सीबीआई द्वारा सामूहिक बलात्कार की पुष्टि करने के बावजूद, अब भी अपनी पुरानी बात पर कायम है. उन्होंने कहा, "हमें दिल्ली की मीडिया पर भरोसा नहीं है. वे हमारा पक्ष नहीं दिखाते हैं."

यह पूछे जाने पर कि क्या वे कानूनी सुनवाई के दौरान किसी समर्थन या सुरक्षा की उम्मीद करते हैं, रवि के भाई ने कहा, "हमारा कौन क्या उखाड़ लेगा गांव में ? दलित परिवार को चाहिए संरक्षण. हम नहीं चाहते."

घटना के बाद, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने परिवार को 25 लाख रुपये, एक घर और एक सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. अब तक, परिवार को सिर्फ मौद्रिक मुआवजा मिला है, जिसे "मुख्य रूप से विभिन्न अदालती सुनवाई के लिए यात्रा पर खर्च किया जाता है."

हाथरस कांड में एक साथ दो मामले चल रहे हैं. पहला मामला पीड़िता के सामूहिक बलात्कार और हत्या का है, जो हाथरस जिले में विशेष एससी / एसटी अदालत में चल रहा है. दूसरा, जबरन दाह संस्कार और जांच के दौरान राज्य के अधिकारियों की भूमिका की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में हो रही है.

लॉकडाउन के दौरान मामले की सुनवाई रुक गई थी. परंतु अब गति पकड़ रही है. लेकिन, किशोरी की मां के लिए यह रातें, उसकी वह बेटी जो अब कभी वापिस नही आएगी, उसकी भयानक यादों में गुजर रही है.

परिवार के पास बेटी की एकमात्र स्मृति उसके द्वारा बुने गए ये दो टेबल क्लॉथ हैं।

(Photo: Asmita Nandy/The Quint)

वह कहती हैं, "दिन-रात, मैं अपनी बेटी के बारे में सोचती रहती हूं. वह मेरे साथ सोती थी. रात में मुझे उसकी यादें सताती है. वह इतनी जीवंत व्यक्ति थी. वह मेरे पास अब कभी वापस नहीं आएगी. मैं बस प्रार्थना करती हूं कि उसे जल्द न्याय मिले."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 18 Sep 2021,12:58 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT