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हिमाचल के सेब किसानों का दर्द, बताए नोटबंदी के नुकसान

हिमाचल के सेब किसानों ने कहा- राज्य या केंद्र सरकार कोई मदद नहीं करता

ऐश्वर्या एस अय्यर
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बड़ी मात्रा में होती है हिमाचल में सेब की खेती
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बड़ी मात्रा में होती है हिमाचल में सेब की खेती
(फोटो: द क्विंट)

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हिमाचल प्रदेश में सेब किसान बिचौलियों से काफी परेशान हैं. किसानों का कहना है कि उनका मुनाफा मंडी के आढ़ती और बिचौलिए खा जाते हैं. इसके लिए किसानों ने राज्य सरकार पर आरोप भी लगाए हैं. सेब किसान राज्य की कांग्रेस सरकार के साथ साथ केंद्र की बीजेपी सरकार से भी नाखुश हैं. उनका कहना है कि नोटबंदी का सेब के कारोबार पर बुरा असर पड़ा है.

किसानों का कहना है कि सेब की खेती के लिए सरकार की ओर से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलती है. इसी वजह से बिचौलिए किसान का मुनाफा कमा लेते हैं.

पहले एपल इंडस्ट्री के अंदर ब्लैक मनी बहुत बड़ा रोल प्ले करता था. एपल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाला करीब 50 फीसदी पैसा ब्लैकमनी होता था. नोटबंदी के बाद भी मार्केट में ब्लैक मनी इस्तेमाल हो रहा है.
संदीप, सेब किसान
सेब का ज्यादातर ट्रांजेक्शन प्राइवेट में होता है. सेब के लिए MSP 6.25 रुपये प्रति किलो है, जबकि कीमत 20 रुपये प्रति किलो होनी चाहिए.
प्रवीण कुमार, सेब किसान
GST का कारोबार पर काफी असर पड़ा है. कार्टन पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है. केमिकल और फर्टिलाइजर्स पर 5-12% का जीएसटी लगता है. जो बक्सा 40 रुपये का मिलता था आज 50 रुपये का मिल रहा है. 
ओमप्रकाश, सेब व्यापारी  

हिमाचल के सेब कारोबारियों का कहना है कि उन्हें राज्य या केंद्र सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलती है. किसानों ने बताया कि इस साल मौसम की मार की वजह से हिमाचल में सेब की करीब 50 फीसदी खेती बर्बाद हो गई.

राज्य की कांग्रेस और केंद्र की बीजेपी सरकार से परेशान हिमाचल के सेब किसान 9 नवंबर को होने वाली वोटिंग में ईवीएम पर किस प्रत्याशी के पक्ष में बटन दबाएंगे ये देखना काफी दिलचस्प होगा.

ये भी पढ़ें- सेब हमेशा जेब में रखिए: ये 10 फायदे किसी और फल में नहीं

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