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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
एक हिंदू लड़की अंजलि और एक मुस्लिम लड़के इब्राहीम ने चुपके से शादी कर ली. शादी के एक साल बाद भी वे साथ रहने के लिए कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि दोनों ही वयस्क हैं और अपना फैसला खुद ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि 'अलग धर्म में विवाह देश के लिए अच्छा है’
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 22 अक्टूबर को करेगा.
33 साल के इब्राहीम और 25 साल की अंजलि ने आर्य समाज के रीति-रिवाजों से शादी की थी. इब्राहीम ने शादी के लिए हिंदू धर्म अपना लिया था. हालांकि, अंजलि का परिवार इसे 'लव जिहाद' का मामला बता रहा है.
इस कपल की शादी को 18 महीने हो चुके हैं लेकिन वे देश के अलग-अलग हिस्सों में 'बंधक' की तरह रह रहे हैं. अंजलि के पिता ने उसे मानसिक रूप से कमजोर बताते हुए जबरदस्ती मेंटल हॉस्पिटल में भेज दिया. इब्राहीम को 'जालसाजी' के आरोप में जेल में डाल दिया गया.
अंजलि को अपने ही घर में कैद किए जाने के बाद, इब्राहीम ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें अंजलि के साथ शादीशुदा जोड़े की तरह रहने के अधिकार की मांग की गई. अदालत ने अंजलि को वयस्क बताते हुए खुद के लिए निर्णय लेने की बात कही.
हालांकि, अंजलि को उसके माता-पिता ने महिला केंद्र से कथित रूप से अगवा कर लिया था और मेंटल हॉस्पिटल में भेज दिया था. इसके बाद इब्राहीम सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि अंजलि को अपना साथी चुनने का अधिकार है.
मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट में है. इस बार अंजलि के पिता ने इब्राहीम और छत्तीसगढ़ पुलिस के खिलाफ अपनी बेटी को घर से ले जाने का मामला दर्ज कराया है.
केस जितना लंबा खिंचता चला जा रहा है, अंजलि और इब्राहीम का पति-पत्नी की तरह साथ रहने का इंतजार भी उतना ही लंबा होता जा रहा है.
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