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8 जनवरी को बेंगलुरु के पब में लगी आग से बार कर्मचारियों की जान चली गयी थी. 28 दिसंबर 2017 को मुंबई के कमला मिल्स हादसे में 14 लोगों की जान गयी थी. अभी फायर सेफ्टी एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है.
बेंगलुरु और मुंबई हादसे के बाद दिल्ली के पब, बार और रेस्तरां की चिंता बढ़ गयी है. दिल्ली के रेस्तरां और पब की सेफ्टी चेक के लिए क्विंट पहुंचा हौज खास विलेज. क्या यहां आग से बचने के लिए जरूरी सुरक्षा नियमों का पालन हो रहा है?
दिल्ली की रहने वाली 30 वर्षीय उर्वी कहती हैं:
हमने दिल्ली फायर सर्विस चीफ मिस्टर मिश्रा से बात की. उन्होंने बताया कि दिल्ली में दो तरह के रेस्तरां चलते हैं, एक जिसे 48 सीटर का लाइसेंस मिलता है और दूसरा जिसे 48+ का लाइसेंस दिया जाता है. इनमें 48+ रेस्तरां को फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट से 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' लेना जरूरी होता है.
हालांकि 48 सीटर लाइसेंस (जो की दिल्ली में करीब 90 प्रतिशत हैं) को स्ट्रिक्टली फायर सेफ्टी नियमों का पालन करना होता है, जिसमें ट्रेंड स्टाफ का होना अनिवार्य है. ऐसे और भी नियम हैं, जैसे- रेस्तरां में दो ऑपोजिट एग्जिट गेट होना चाहिए, ताकि एक रास्ता बंद हो जाये, तो दूसरा खुला रहे. 2 मीटर चौड़ी सीढ़ियां और 6 मीटर लंबी सड़क, जो रेस्तरां तक आती हो, जिससे फायर ब्रिगेड गाड़ी को रेस्तरां तक आने में आसानी हो.
सरणा ने आगे कहा कि उन्होंने सड़क चौड़ी करने का प्रपोजल दिया है, जो सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए होगा और इससे काफी मदद मिलेगी. इन सभी नियमों को ध्यान में रख कर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है. समय बीतता जा रहा है. क्या दिल्ली कमला मिल्स जैसे हादसे से बचने को तैयार नजर आती है?
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