Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019फैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ के मायने, एक-एक लाइन और शब्द समझिए

फैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ के मायने, एक-एक लाइन और शब्द समझिए

नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौर में फैज़ की ये नज्म विरोध की आवाज को और धारदार बनाती है

फबेहा सय्यद
वीडियो
Updated:
(फोटो: क्विंट हिंदी)
i
null
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

हम देखेंगे...

लाजिम है कि हम भी देखेंगे

हम देखेंगे...

वो दिन कि जिस का वादा है

जो लौह-ए-अजल में लिखा है

नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौर में फैज़ अहमद फैज़ की ये नज्म विरोध की आवाज को और धारदार बनाती है. देश के कोने-कोने में ये नज्म गूंज रही है. ऐसे में इसका इतिहास जानना बेहद जरूरी है.

पाकिस्तान के कट्टर सैन्य तानाशाह जनरल जिया-उल-हक के शोषण के खिलाफ फैज़ ने ये लिखा था. इसके कुछ ही साल बाद 1986 में इकबाल बानो ने इसे अपने अंदाज में गाया तो मानो ‘हम देखेंगे’ एक विरोध की, विद्रोह की, क्रांति की पुकार बन गई.

इस वीडियो में समझिए ‘हम देखेंगे’ के मायने, इसकी हर एक लाइन के मायने.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 05 Jan 2020,07:02 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT