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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
वीडियो प्रोड्यूसर: ज़िजाह शेरवानी
देश के लिए अपने बलिदान के 13 दिन पहले परिवार के सबसे छोटे बेटे शहीद सिपाही गुरबिंदर सिंह 22 साल के हुए थे. 15 जुलाई को गलवान में चीन के साथ झड़प में वो शहीद हो गए थे.
पंजाब के संगरुर का तोलावल गांव में सिपाही गुरबिंदर सिंह का परिवार उनकी वापसी का इंतजार कर रहा था. परिवारवाले उनकी शादी की योजनाएं बना रहे थे. 10 महीने पहले ही उनकी सगाई हुई थी.
परिवार के साथ अपनी आखिरी बातचीत में गुरबिंदर सिंह ने उन्हें बताया कि वो कश्मीर घाटी के निचले हिस्से में जा रहे हैं. गुरबिंदर की मां का कहना है कि वो जब भी फोन करते थे सिर्फ 'फौज' के बारे में बात करते थे.
गुरबिंदर अपने मामा को आर्मी की वर्दी में देखते हुए बड़े हुए थे. बचपन में ही उन्होंने सेना में शामिल होने का लक्ष्य बना लिया था और आखिरकार मार्च 2018 में आर्मी ज्वाइन कर ली. उसके बाद से छुट्टियों में साल में केवल तीन बार घर आया करते थे.
गुरबिंदर सिंह को श्रद्धांजलि के रूप में एक सरकारी स्कूल, तोलावल गांव में उनके घर तक की सड़क और एक स्टेडियम उनके नाम की जानी है.
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