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कैमरा, संपादन और निर्देशन: पुनीत भाटिया
क्या धर्मनिरपेक्षता, निष्पक्षता, मानवता जैसे शब्द आज भी भावनाओं को वैसे ही जकड़े हुए हैं जैसे पहले हुआ करते थे या आप धर्म को राष्ट्र में होने वाली हर चीज का कारण मानते हैं?
ईद पर सेवइयां, गुरुद्वारा में कड़ा प्रसाद और विभिन्न धर्मों के त्योहारों को मनाने से लेकर हिंसा के लिए एक-दूसरे के धर्मो को दोष देने तक. हम सचमुच बहुत आगे निकल गए हैं.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धर्म के नाम पर देश जलते समय वास्तव में माचिस की तीली कौन रखता है?
द क्विंट भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस को अपने अभियान- SeculaRythm के साथ मना रहा है. स्वतंत्रता दिवस तक हम प्रेम, एकता और संगीत की कहानियों को साझा करेंगे, उन लोगों की कहानियां जिन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के माध्यम से अपने छोटे से तरीके से बदलाव किया है. ये कहानियाँ आपको एक भारतीय होने और इसके धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर गर्व की अनुभूति कराएँगी.
भारत की असली Rythm क्या है? हम इसे SeculaRythm कहते हैं.
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