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74 वर्षों तक, दो मुल्कों के बीच मौजूद सीमा के दोनों पार रह रहे दो भाइयों को एक-दूसरे के ठिकाने के बारे में पता नहीं था या यह भी नहीं कि दूसरा अब तक जिंदा है भी या नहीं. विभाजन की त्रासदी के दौरान अलग हो गए और उन्होंने फिर से एक होने की उम्मीद खो दी थी. लेकिन जब दोनों भाई दोनों देशों को जोड़ने वाले करतारपुर कॉरिडोर पर एक साथ मिले तो उनके साथ दोनों देश की जनता की आंखें भी भर आई.
दोनों भाइयों में बड़े सद्दीक खान, बंटवारे के वक्त आठ या नौ साल के थे और वर्तमान में पाकिस्तान के बोगरान गांव (फैसलाबाद के पास) में रहते हैं.
दूसरी तरफ भाइयों के बिछड़ने के समय दूसरे भाई शीका खान नवजात बच्चे थे और अब पंजाब के बठिंडा के गांव फुलेवाला में रहते हैं. खास बात है कि बड़े भाई सद्दीक खान से पुनर्मिलन के बाद ही सिका खान को पता चला कि उनकों दिया गया नाम वास्तव में हबीब खान था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सिका खान ने कहा है कि "कृपया मुझे वीजा दें. मैं जल्द से जल्द अपने भाई के पास जाना चाहता हूं."
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