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वीडियो। फुटपाथ पर ठिठुरते लोग आखिर रैन बसेरों में क्यों नहीं जाते?

सर्दी की सबसे ज्यादा मार खुले आसमान के नीचे रह रहे लोगों पर पड़ रही है.

विक्रांत दुबे
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लखनऊ में फुटपाथ पर ठिठुरते लोग, रैन बसेरों में क्यों नहीं जाते?
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लखनऊ में फुटपाथ पर ठिठुरते लोग, रैन बसेरों में क्यों नहीं जाते?
(फोटो: क्विंट हिंदी\विक्रांत दूबे)

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उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में हुई बर्फबारी के बाद मैदानी इलाकों में पारा लगातार गिरता जा रहा है. मौसम विभाग की जानकारी के मुताबिक, इस सर्दी से जल्द निजात मिलने की उम्मीद नहीं है. सर्दी की सबसे ज्यादा मार खुले आसमान के नीचे रह रहे लोगों पर पड़ रही है.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसे लोग रैन बसेरों में जाने को तैयार नहीं है. पिछले ही हफ्ते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे रैन बसेरों का अचानक दौरा किया. हालांकि, प्रशासन को पहले ही इसकी भनक थी, इसलिए रैन बसेरों में इंतजाम कर दिए गए.

क्विंट के संवाददाता विक्रांत दूबे भी इन रैन बसेरों की स्थिति को देखने पहुंचे. जियामऊ रैन बसेरे में रह रहे लोगों ने बताया कि योगी के दौरे से पहले लोगों को जबरदस्ती वहां लाया गया था.

जियामऊ रैन बसेरे के संचालक के मुताबिक कुछ लोगों को निगम की गाड़ी से यहां लाया गया था. इनमें से कुछ लोग अपना सामान छोड़कर ही भाग निकले.

दरअसल, लखनऊ में ठंड बढ़ने के बावजूद लोग वहां ठहरना नहीं चाहते हैं. बातचीत में लोगों ने बताया कि रैन बसेरों में व्यवस्था ठीकम नहीं होती है और उन्हें यहां आने से डर भी लगता है.

वहीं, चारबाग इलाके में बने बसेरे में भी हाल कुछ ऐसा ही है. यहां 150 लोगों के सोने की व्यवस्था है लेकिन सिर्फ 30 ही लोग वहां रह रहे हैं. क्विंट ने पाया कि वहां कंबल और बिस्तरों का हाल अच्छा नहीं है.

रेलवे स्टेशन के पास बना ये रैन बसेरा शहर का सबसे पुराना रैन बसेरा है. यहां के संचालक से जब क्विंट ने बात की, तो उन्होंने बताया कि जल्द ही लोगों के लिए व्यवस्था ठीक हो जाएगी. वहीं, लक्ष्मण रैन बसेरे में जब हम पहुंचे, तो वहां ठंड में भी पंखे चलते दिखाई दिए.

इसलिए खुले आसामान के नीचे रह रहे लोगों को रैन बसेरों में खींचने के लिए सिर्फ सीएम के दौरे से काम नहीं चलेगा, बल्कि सबसे पहले बदइंतजामी दूर करने की जरूरत है.

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Published: 08 Jan 2018,07:01 PM IST

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