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भारत में योग परंपरा और शास्त्रों का विस्तृत इतिहास रहा है.
योग की मौजूदगी का लोक संस्कृति, हिंदू घाटी सभ्यताकाल, वैदिक और उपनिषद् धरोहरों, बौद्ध, जैन के रीति-रिवाजों और रामायण-महाभात काव्यों में उल्लेख है.
माना जाता है कि योग का जन्म भारत में ही हुआ. गीता में श्रीकृष्ण ने एक स्थल पर कहा है ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ (कर्मो में कुशलता को योग कहते हैं). हालांकि यह वाक्य योग की परिभाषा नहीं है.
ऐसा कहा जाता है कि सूर्य नमस्कार भी योग साधना से ही प्रभावित है. इसके अलावा, दक्षिण एशिया के आध्यामिक परंपराओं में भी इस योग का वर्णन किया गया है. ये वह समय था जब योग गुरू इसकी शिक्षा देते थे. इसके आध्यात्मिक मूल्य को खास महत्व दिया जाता था.
पूर्व वैदिक काल(2700 बीसी) और उसके बाद पतंजलि युग में भी योग होने के ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद है.
देखिए योगा का समय-समय पर बदलता रुप.
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