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शादी के 37 साल बाद अब शुरू हुआ शबाना से मेरा रोमांस: जावेद अख्तर 

जावेद अख्तर ने द क्विंट से बातचीत में प्रवासी मजदूर, लॉकडाउन, अवार्ड समेत शबाना आजमी के साथ अपने संबंधों पर बात की

अबीरा धर
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जावेद अख्तर और शबाना आजमी
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जावेद अख्तर और शबाना आजमी
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1960 से 1965 के बीच अगर इस तरह का माइग्रेशन हुआ होता, तो शायद मैं भी ऐसे ही 500-600 किलोमीटर पैदल चल रहा होता-लॉकडाउन में प्रवासियों की हालत पर जावेद अख्तर

मशहूर लेखक और बुद्धिजीवी जावेद अख्तर से द क्विंट ने कई मामलों पर बात की. इनमें अमेरिका में चल रहे विरोध प्रदर्शन और उस पर बॉलीवुड की सिलेक्टव प्रतिक्रिया, लॉकडाउन में उनकी लाइफ, प्रवासी मजदूरों और रिचर्ड डॉकिन्स अवार्ड जैसे कई विषयों पर बात हुई.

लॉकडाउन में शबाना से मेरा रोमांस चालू हुआ है: जावेद अख्तर

लॉकडाउन में समय बिताने के तरीकों पर जावेद अख्तर ने कहा कि वे फिल्में देखते हैं. साथ में उन्हें पहली बार अपनी पत्नी शबाना आजमी के साथ इतना लंबा वक्त बिताने को मिला है. उन्होंने कहा,'' हमारी शादी को 35-37 साल हो गए, पर मैं शबाना के साथ इतना लंबा रहा ही नहीं हूं. वो अलग शहर में रह रही थीं, मैं अलग शहर में. दो-दो, चार-चार दिन के लिए एक साथ रह पाते थे. पहली बार इतना वक्त साथ बिताने को मिला है, इसलिए अब हमारा तो अफेयर ही शुरू हो रहा है.''

भारतीय मुद्दों पर क्यों चुप रहते हैं कलाकार

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड को लेकर हो रहे प्रदर्शनों पर भारत के फिल्मी कलाकार मुखर रहे हैं. लेकिन कई बार उनपर भारतीय सामाजिक मुद्दों पर चुप्पी थामने का आरोप लगता है. जावेद अख्तर से जब यह सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा,

सेलेब्स ऐसे मुद्दे पर नहीं बोलते, जिनपर उन्हे लगता है कि उन्हें प्रॉब्लम हो सकती है. उन्हें अलग-अलग तरीकों से परेशान किया जाता है. अमेरिका में मेरिल स्ट्रिप भरे मंच से राष्ट्रपति के खिलाफ बोल देती हैं, पर उनके घर पर चार दिन बाद रेड नहीं होती. हमारे यहां ऐसा नहीं है.
जावेद अख्तर

कोरोना पर जावेद अख्तर

जब कोरोना के पांच सौ आदमी थे, तो लॉकडाउन लगाया, अब ढाई लाख से ज्यादा हैं, तो खोल रहे हैं, यह तार्किक नहीं है, लेकिन लोगों को भी रोजगार, कमाई जरूरी है. इसलिए यह सही और गलत के बीच कही है. लेकिन यहां मुझे प्रवासियों के साथ जो हुआ है, वह गलत हुआ है. 1960 से 1965 के बीच अगर यह हुआ होता, तो शायद मैं भी ऐसे ही पैदल चल रहा होता. क्योंकि मैं भी उसी हालत में था. सरकार ने उनकी परवाह नहीं की.
जावेद अख्तर

रिचर्ड डॉकिन्स अवार्ड क्यों खास है

रिचर्ड डॉकिन्स अवार्ड मिलने पर जावेद अख्तर ने कहा, ''यह मेरे लिखा खास है, क्योंकि मुझे अवार्ड तो कई मिले, फिल्म लिखने के लिए, गाने लिखने के लिए. पर यह मेरी विचारधारा के लिए पहली बार मिला अवार्ड है.''

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Published: 14 Jun 2020,01:15 PM IST

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