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झारखंड| हॉकी प्लेयर ‘सुसाइड’: पुलिस की होमोसेक्सुअल थ्योरी पर सवाल

दो आदिवासी महिला हॉकी खिलाड़ियों की मौत पर परिवार ने उठाए सवाल?

आकांक्षा कुमार
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झारखंड के सिमडेगा जिले में दो आदिवासी महिला हॉकी खिलाड़ियों के शव एक पेड़ से लटके मिले थे
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झारखंड के सिमडेगा जिले में दो आदिवासी महिला हॉकी खिलाड़ियों के शव एक पेड़ से लटके मिले थे
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

“हम एसपीओ के पास गए थे. उन्होंने कहा कि हम जांच करेंगे. लेकिन ये बात किसी को मत बताना, अब झारखंड में इलेक्शन है तो किसी नेता के पास मत जाना और ये बात मानवाधिकार कमिशन को मत बताना.” ये कहना है सुनंदिनी बागे (23) की रिश्तेदार का. 11 अगस्त 2019 को झारखंड के सिमडेगा जिले में सुनंदिनी का शव पेड़ से लटका मिला था.

न सिर्फ सुनंदिनी बल्कि उनके साथ की एक और हॉकी प्लेयर श्रद्धा सोरेंग(14) का भी शव साथ में लटका मिला था. क्विंट ने दोनों के माता पिता की सहमति से उनके नाम और फोटो का इस स्टोरी में इस्तेमाल किया है.

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मामले में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, झारखंड पुलिस ने आज तक, सिमडेगा के बंजजोर गांव में सोरेंग के घर का दौरा नहीं किया है.

वहीं ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में बसे सुनंदिनी के परिवार का दावा है कि झारखंड विधानसभा चुनाव खत्म होने तक उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया है.

14 साल की श्रद्धा सोरेंग (बाएं) और 23 साल की सुनंदिनी बागे (दाएं). दोनों एक ही टीम की हॉकी खिलाड़ी थीं.(फोटो: द क्विंट)

परिवार के सदस्यों की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. लेकिन पुलिस इसे आत्महत्या मान रही है.

17 से 22 अगस्त के बीच झारखंड पहुंची एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि "सबूत के तौर पर, पुलिस ने श्रद्धा की डायरी, खजूर के पत्ते पर और एक साबुन जिसपर ‘सुनंदिनी’ लिखा था, उसे इकट्ठा किया और ये बताने की कोशिश कर रही है कि श्रद्धा और सुनंदिनी के बीच एक रोमांटिक रिश्ता था."

श्रद्धा सोरेंग के परिवार के सदस्यों ने उनका अंतिम संस्कार किया(फोटो: द क्विंट)
जहां पर बच्चियों का शव लटका हुआ था, वहां किसी भी एंगल से आत्महत्या नहीं माना जा सकता. रस्सियों से दोनों बच्चियों का गला कसा हुआ था. दोनों के पैर जमीन से सटे हुए थे. पुलिस कह रही है कि बच्चियां नशा करती थीं. ये बात बिलकुल गलत है. पुलिस के गवाह और हमारी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट बिलकुल नहीं मिलती है. वो बिलकुल उल्टा आ रहा है. 
तारामणि साहू, एक्टिविस्ट  

परिवारवालों ने श्रद्धा और सुनंदिनी के बीच समलैंगिक रिश्ता मानने से इनकार किया है.

मुझे ऐसा लगता नहीं था. वो (श्रद्धा) सिर्फ सुनंदिनी से बात करती थी. उसे दीदी कहती थी.
राजेश सोरेंग, श्रद्धा के पिता  
राजेश सोरेंग द्वारा लिखित शिकायत की कॉपी. (फोटो: द क्विंट)
ये एक हत्या है और हम स्वीकार नहीं करते हैं कि सुनंदिनी समलैंगिक थी. 
एंथोनिया बागे, सुनंदिनी की मां  

दोनों के परिवार का मानना है कि ‘हत्या’ में कोच मैरी पुरती का हाथ है और इसकी जांच होनी चाहिए. राजेश सोरेंग कहते हैं कि श्रद्धा ने कोच की शिकायत नहीं की थी. इतना बोलती थी कि कोच सुनंदिनी से मुझे बात नहीं करने देती है. मुझे डांटती हैं. वहीं सुनंदिनी की मां का कहना है कि सुनंदिनी ने उनसे कोच के बारे में शिकायत की थी कि कभी-कभी कोच गाली देती थी और ‘जंगली’ बोलती थी.

असल वजह अबतक साफ नहीं हो पाई है. सवाल कई सारे हैं. क्या समलैंगिकता के खिलाफ लोगों के रवैये ने सुनंदिनी और श्रद्धा को ये भयानक कदम उठाने पर मजबूर किया या इनके कथित आत्महत्या में कोई और भी शामिल है? क्या इनके परिवार कभी इस सच्चाई को जान पाएंगे?

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