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वीडियो एडिटर- कुणाल मेहरा
कैमरापर्सन- अभय शर्मा
‘पहले, आप हमारा यौन शोषण करते हैं’
‘फिर झूठी शिकायतों से हमें परेशान करते हैं’
‘क्या ये सिर्फ इसलिए सही है, क्योंकि हम जेएनयू के छात्र हैं? ‘
‘क्या यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाना गलत है? ‘
जेएनयू लॉन्ग मार्च के 3 हफ्ते बाद, 24 साल की शीना ठाकुर की जिंदगी आहिस्ता-आहिस्ता पटरी पर लौट रही है.
23 मार्च को प्रोफेसर अतुल जौहरी के खिलाफ प्रदर्शन बुलाया गया. जौहरी पर 8 छात्राओं के यौन शोषण का आरोप है. ये मुद्दा यूनिवर्सिटी में सोशलॉजी की पूर्व छात्रा ठाकुर के दिल के काफी करीब था. जाहिर है, उन्होंने भी प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि ये दिन उनकी जिंदगी को उलट-पुलट देगा. कहां तो उन्होंने सोचा था कि #MeToo के दौर में ये एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन साबित होगा और कहां ये एक बुरा सपना बन गया. ठाकुर, खुद उत्पीड़न का शिकार हो गईं.
जुल्म शीना पर हुआ लेकिन पुलिस ने शीना और साथियों के खिलाफ एक काउंटर-कंप्लेंट दर्ज करा दी. ऐसा भी मुमकिन है कि हिमाचल के कुल्लू की रहने वाली शीना को गिरफ्तार कर लिया जाए.
ठाकुर ने क्विंट से बातचीत में खुद को निर्दोष और पुलिस की शिकायत को ‘फर्जी’ करार दिया. ये शिकायत सिर्फ छात्राओं को डराने के लिए दर्ज की गई है.
ठाकुर इससे पहले भी कई प्रदर्शनों का हिस्सा रही हैं लेकिन पुलिसिया कहर की वजह से ‘लॉन्ग मार्च’ एक अलग तजुर्बा था. वो मानती हैं कि पुलिस की ज्यादती उन्हें सवाल पूछने से नहीं रोक सकेगी:
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