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जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. उनके अलावा और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी (jignesh mevani) ने कांग्रेस की विचारधारा को समर्थन देने की बात कही है. इस दौरान राहुल गांधी भी कन्हैया और जिग्नेश के साथ नजर आए.
पिछले कई हफ्तों से दोनों नेता गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल के संपर्क में थे. जिसके बाद आखिरकार कन्हैया ने पार्टी ज्वाइन कर ली और जिग्नेश क्योंकि अभी निर्दलीय विधायक हैं, इसीलिए उन्होंने पार्टी को समर्थन दिया है.
कांग्रेस में शामिल होने पर कन्हैया कुमार ने कहा कि, भगत सिंह की जयंती पर हम उन्हें नमन करते हैं, वो यूथ आइकन हैं. मुझे लगता है कि बहुत कुछ कहने की जरूरत नहीं है. आजकल सूचना क्रांति के इस दौर में हम से ज्यादा पत्रकार साथी जानते हैं. मैं कांग्रेस पार्टी इसलिए ज्वाइन कर रहा हूं, क्योंकि मुझे ये महसूस होता है कि इस देश में कुछ लोग, वो लोग नहीं हैं, वो एक सोच हैं. वो इस देश की संस्कृति, इसका मूल्य, इतिहास और भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. मैंने पढ़ा था कि आप अपने विपक्ष का चुनाव कीजिए, दोस्त अपने आप बन जाते हैं. इस देश की लोकतांत्रिक पार्टी में हम इसलिए शामिल होना चाहते हैं, हमें लगता है कि कांग्रेस अगर नहीं बची तो देश नहीं बचेगा.
देश में प्रधानमंत्री आज भी हैं, पहले भी थे और आगे भी होते रहेंगे. लेकिन आज जब हम लोग कांग्रेस का फॉर्म भर रहे थे तो साथी जिग्नेश ने संविधान की कॉपी दी और हमने उन्हें गांधी और भगत सिंह की किताब दी. क्योंकि आज इस देश को गांधी की एकता की जरूरत है. हमें भारत की चिंतन परंपरा को बचाने की जरूरत है. कांग्रेस वो पार्टी है जो गांधी के विचारों क लेकर आगे चलेगी.
कन्हैया ने कहा कि, जो लोग कह रहे हैं कि विपक्ष कमजोर हो गया है. तो ये सिर्फ विपक्ष के लिए चिंता की बात नहीं है. क्योंकि जब विपक्ष कमजोर होता है तो सत्ता तानाशाही की ओर जाती है.
गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने कहा कि, जो कहानी गुजरात से शुरू हुई उसने इस मुल्क में क्या उत्पात मचाया है, वो सब आपके सामने है. ऐसा संकट इस मुल्क ने पहले कभी नहीं देखा. हमारे संविधान पर हमला है. हमारे लोकतंत्र पर हमला है. आज भाई-भाई एक दूसरे का दुश्मन बन जाए, सोची समझी रणनीति के तहत नफरत फैलाई जा रही है.
मैं जब खुद से सवाल पूछता हूं कि मेरी ड्यूटी क्या होनी चाहिए, तो अंदर से एक ही आवाज आती है कि कुछ भी करके संविधान और लोकतंत्र को बचाना है. इसके लिए उसके साथ खड़ा रहना है, जिसने ये करके दिखाया है. मैं निर्दलीय विधायक के तौर पर कांग्रेस में शामिल नहीं हो सकता था, लेकिन मैं आज इस विचार के साथ जुड़ चुका हूं. मैं अगले साल का चुनाव कांग्रेस से ही लड़ूंगा.
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