Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019प्रधानमंत्री मोदीजी, आपके स्पीच राइटर ने आपको फिर फंसा दिया है

प्रधानमंत्री मोदीजी, आपके स्पीच राइटर ने आपको फिर फंसा दिया है

प्रधानमंत्री मोदीजी, देश के इतिहास को लेकर आप अपने भाषण के दौरान फिर गलत बोल गए!

मैत्रेयी रमेश & कौशिकी कश्यप
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9 मई को बिदर में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने विपक्षी कांग्रेस को निशाने पर लिया.
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9 मई को बिदर में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने विपक्षी कांग्रेस को निशाने पर लिया.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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कैमरा: शिव कुमार मौर्य

एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

कर्नाटक में 12 मई को होने वाले चुनाव को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां की. 9 मई को बिदर में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने विपक्षी पार्टी कांग्रेस को निशाने पर लिया. लेकिन उस दौरान उनसे चूक हो गई!

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा-

जब स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को जेल भेजा गया तो क्या कोई कांग्रेसी नेता उनसे मिलने गया था? 

पीएम ने 9 मई को इसी बात को रखते हुए ट्वीट भी किया था.

प्रधानमंत्री मोदी, यहीं गलत बोल गए. जवाहर लाल नेहरू ने न सिर्फ लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह से मुलाकात की थी, बल्कि उन्होंने इसके बारे में लिखा भी था.

1929 में, जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज हो रहा था, तो भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अंग्रेजों का ध्यान आकर्षित करने के लिए दिल्ली के ब्रिटिश विधानसभा हॉल पर बम फेंका. वो इसके लिए गिरफ्तार किए गए और जेल भेजे गए. भगत सिंह ने जेल की स्थिति को बेहतर बनाने का मुद्दा उठाया और जेल में ही भूख हड़ताल शुरू की.

उनकी भूख हड़ताल अनिश्चितकालीन हो चली, तब 40 साल के जवाहरलाल नेहरू ने जेल का दौरा किया और भूख हड़ताल पर बैठे भगत सिंह और अन्य लोगों से मुलाकात की.

उस मुलाकात के बारे में उन्होंने लिखा:

“उन नायकों की पीड़ा को देख मैं बहुत तनाव में था. उन्होंने इस संघर्ष के लिए अपनी जान लगा दी. वो चाहते हैं कि राजनीतिक कैदियों के साथ राजनीतिक कैदियों की तरह सुलूक किया जाए. मुझे पूरी उम्मीद है कि उनका बलिदान बेकार नहीं जाएगा.”

नेहरू वैचारिक रूप से भगत सिंह का विरोध भले करते रहे हों लेकिन उन्होंने आजादी के लिए किए गए उनके संघर्ष का सम्मान किया.
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी के कुछ दिन बाद ही 1931 में कांग्रेस के ऐतिहासिक कराची अधिवेशन में बोलते हुए, नेहरू एक प्रस्ताव ले कर आए जिसे तत्कालीन वरिष्ठ कांग्रेस नेता मदन मोहन मालवीय ने आगे बढ़ाया.

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प्रस्ताव में कहा गया कि हालांकि कांग्रेस किसी भी तरह की राजनीतिक हिंसा से असहमत है, लेकिन भगत सिंह और उनके साथियों की बहादुरी और बलिदान का सम्मान करती है.

पीएम मोदी के बयान के बाद, इतिहासकार इरफान हबीब जिन्होंने भगत सिंह की विचारधारा पर एक किताब लिखी है, ने ट्वीट किया कि गांधी जी की अनिच्छा के बावजूद कई कांग्रेस नेताओं ने भगत सिंह को लेकर अपनी बात रखी.

संयोग से, इन शहीदों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों में से एक वकील वरिष्ठ कांग्रेस नेता बन गए. उनका नाम है आसफ अली, जानी-मानी  स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली के पति.

इससे पहले, पीएम मोदी ने कर्नाटक में ही दावा किया था कि जवाहरलाल नेहरू शासित कांग्रेस सरकार ने, मिलिट्री आइकाॅन फील्ड मार्शल करियप्पा और जनरल थिमैय्या  को अपमानित किया था.

प्रधानमंत्री मोदी जी, आपके रिसर्चर्स और फैक्ट चेकर्स को हम सुझाव देना चाहते हैं कि वो भारतीय समकालीन इतिहास का कोर्स कर लें. कम से कम 2019 के चुनाव से पहले!

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 11 May 2018,09:53 PM IST

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