advertisement
26/11 के दोषी कसाब की फांसी याद है आपको. यह फांसी 21 नवंबर 2012 को हुई थी. ये फांसी महाराष्ट्र की पूर्व आईजी (जेल) मीरां चड्ढा बोरवणकर की निगरानी में दी गई थी. द क्विंंट को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में मीरां चड्ढा ने बताया कि वो इस मिशन को PROJECT X नाम देने की कोशिश कर रहे थे .
पूर्व आईजी ने कहा, "हम मिशन को नाम देने की कोशिश कर रहे थे. किसी ने कहा कि सर, हम आपको एक मैसेज देंगे कि सनसेट हो गया, जिसका मतलब है फांसी दे दी गई. तो वो काफी गुस्सा हो गए. उन्होंने कहा, मुझे ये नाम पसंद नहीं है, इसका नाम बदला जाए. तब हमने सोचा कि हम इसे PROJECT X नाम देंगे."
पूर्व आईजी ने बताया कि उन्होंने योजना के मुताबिक ऐसा ही किया. हालांकि उन्हें ये बात याद नहीं कि मैसेज भेजने के बाद वापस कोई जवाब आया था या नहीं. बोरवणकर ने कहा कि जब उन्होंने जेल के नियम देखे, तो पता चला कि मजिस्ट्रेट को जानकारी देना जरूरी है.
बोरवणकर ने बताया कि पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच कसाब को ऑर्थर रोड जेल से यरवदा जेल भेजा गया था. काफी गोपनीयता के बावजूद एक पत्रकार को इसकी भनक लग गई थी.
ये भी पढ़ें- 26 नवंबर हमले की रात चौकीदार कैलाश से महज 10 फीट दूर था आतंकी कसाब
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)