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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
संजय और शीतल को खुशी-खुशी साथ रहते हुए 12 महीने बीत चुके हैं. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. पिछले एक साल में शीतल और उसके पति के लिए बहुत बदल गया है. निजामपुर में ठीक एक साल पहले यानि 15 जुलाई को पहला मौका था जब कोई दलित बग्घी पर चढ़कर जुलूस के साथ ठाकुरों के गांव में बारात लेकर पहुंचा था. जब गांव में बारात पहुंची थी तब इसका काफी विरोध हुआ था.
इतने तनाव के बाद पुलिस सुरक्षा की बीच शादी का जश्न शुरू हुआ था. लेकिन एक साल बाद हालात काफी बदल गए हैं. संजय और शीतल को आज भी ठाकुरों से खतरा महसूस होता है.
शीतल के मायके में आज भी उदासी महसूस की जा सकती है.शादी के बाद शीतल का भाई बिट्टू अपनी बहन से सिर्फ एक बार ही मिलने गया.
अब संजय ने दलित नेता के तौर पर राजनीति में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है.
संजय राजनीति में ही अपना नाम बनाना चाहते हैं, लेकिन शीतल वापस 9वीं क्लास में पढ़ने जा रही हैं. वो जल्द ही मां भी बनना चाहती हैं. लेकिन बिट्टू और शीतल के घरवालों के लिए सबकुछ भुलाना आसान नहीं है.
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