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केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने सोमवार, 23 जनवरी को कहा कि जजों को नेताओं की तरह चुनाव नहीं लड़ना पड़ता है, न ही जनता की जांच का सामना करना पड़ता है लेकिन वे अपने कार्यों और फैसलों से जनता की नजरों में हैं. किरेन रिजिजू ने दिल्ली बार एसोशिएसन के एक कार्यक्रम में जजों की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि लोग आपको देख रहे हैं और आपके बारे में राय बना रहे हैं. आपके फैसले, आपकी कार्य प्रक्रिया, आप कैसे न्याय करते हैं...सोशल मीडिया के इस युग में आप कुछ भी नहीं छिपा सकते.
रिजिजू का यह बयान कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच लगातार हो रही खींचतान के बीच आया है. रिजिजू ने हाल ही में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति में मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) के पुनर्गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश का पालन करना केंद्र का "बाधित कर्तव्य" है.
रिजिजू ने चिंता व्यक्त की कि कुछ लोग इस संबंध में टिप्पणी भी कर रहे हैं, जो केवल संस्थान को नुकसान पहुंचाता है.
रविवार को, किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज के विचारों का समर्थन करने की मांग की, जिन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जजों को नियुक्त करने का फैसला खुद से करके संविधान को "हाईजैक" कर लिया.
शनिवार को किरण रिजिजू ने जो क्लिप शेयर किया उसमें दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज आरएस सोढ़ी कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि, "सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार संविधान को हाईजैक किया है. सुप्रीम कोर्ट कहता है कि ये जजों की नियुक्ति करेगा और इसमें सरकार को बोलने का कोई अधिकार नहीं है". ये इंटरव्यू यूट्यूब पर 23 नवंबर 2022 को अपलोड किया गया था. जस्टिस सोढ़ी को 1999 में दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया और वे 2007 में रिटायर हुए. अब वे सु्प्रीम कोर्ट में आपराधिक मामलों के मुख्य वकील हैं.
रिजिजू ने शनिवार को अपने ट्वीट में कहा कि
सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. हाल ही में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, हाईकोर्ट के जज के रूप में वकीलों की नियुक्ति के लिए सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक कर दिया था.
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