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पहले से ही कई सारी परेशानियों का सामना कर रहे लेबनान ने तबाही का ऐसा मंजर देखा कि मानो सब कुछ बर्बाद हो गया. धमाका, धुएं का गुब्बार, शोर, घायल लोग, कहीं इमारतें ढह गईं तो कहीं मकानों के शीशे उड़ गए. हर तरफ अफरातफरी का आलम.
लेबनान की राजधानी बेरूत के पोर्ट पर 4 अगस्त 2020 को दो भयानक विस्फोट हुए, जिनमें 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और हजारों घायल हो गए. इन धमाकों ने 10 किलोमीटर दूर तक की इमारतों को भी हिला दिया.
लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब के मुताबिक पोर्ट पर रखे 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट हुआ. पोर्ट के वेयरहाउस में पिछले छह साल से जब्त किया हुआ अमोनियम नाइट्रेट जमा था जिसमें धमाका हो गया.
लेबनान में आर्थिक संकट इस कदर है कि पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने वाट्सएप यूजर्स से हर महीने छह डॉलर का टैक्स लेने का फैसला किया. सरकार का कहना था कि जंगलों में जो आग लगी थी उसमें हजारों एकड़ जंगल और फसलों का नुकसान हुआ है, वाट्सएप यूजर्स से टैक्स लेकर इस नुकसान की भरपाई की जाएगी. सरकार के इस फैसले का विरोध हुआ, लोग सड़कों पर आए, सरकार को फैसला बदलना पड़ा. लेकिन तब तक बेरोजगारी और सिस्टम को बदलने की लड़ाई सड़कों पर शुरू हो गई.
अब इस धमाके ने लेबनान की सरकार, अर्थव्यवस्था और आम आदमी के सामने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है. सरकार ने कहा है कि इस धमाके के लिए जिम्मेदार लोगों को छोडा नहीं जाएगा. लेकिन ये कौन बताएगा कि एक भीड़ भाड़ वाले इलाके में करीब 3 हजार टन अमोनियम नाइट्रेट रखने की इजाजत किसने दी, और अगर वो वहां अवैध तरीके से रखा था तो 6 साल तक सरकार को पता कैसे नहीं चला?
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