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लॉकडाउन: घर लौटते वक्त 16 मजदूर मरे, आज तक नहीं मिला डेथ सर्टिफकेट

डेथ सर्टिफिकेट बिना न बीमा, न पेंशन, न जमीन

वैभव पलनीटकर
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 महाराष्ट्र के जालना से भुसावल पैदल चले आ रहे 16 मजदूरों की ट्रेन दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई थी
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महाराष्ट्र के जालना से भुसावल पैदल चले आ रहे 16 मजदूरों की ट्रेन दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई थी
(Photo:  Altered By Quint Hindi)

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पिछले साल मई महीने में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में लॉकडाउन के दौरान 16 मजदूरों की रेलवे पटरी पर मालगाड़ी की चपेट में आ जाने के चलते मौत हो गई थी. सिस्टम का सितम देखिए कि इस हादसे को एक साल पूरा होने को है और जान गंवाने वाले मजदूरों के परिवारजनों को अब तक इनका डेथ सर्टिफिकेट तक नहीं मिल पाया है. नतीजा ये है कि इन्हें वो सारी मदद नहीं मिल पा रही है, जिनका इनसे वादा किया गया था.

हादसे में जान गंवाने वाले सभी मजदूर मध्य प्रदेश के शहडोल एवं उमरिया जिले के थे. तब क्विंट हिंदी ने इस हादसे पर विस्तार से रिपोर्ट की थी और बताया था कि मजदूर किन परेशानियों की वजह से घर लौट रहे थे और उनके घरों की स्थिति कैसी थी.

हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों के परिवार वालों का कहना है कि डेथ सर्टिफिकेट न होने के कारण बैंक एवं इंश्योरेंस के काम अटके पड़े हैं. साथ ही मजदूरों की विधवाओं को विधवा पेंशन भी नहीं मिल पा रही है.

8 मई 2020 को हुआ था दिल दहला देने वाला हादसा

पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक नेशनल लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी, जिसके बाद देश के कई इलाकों से लाखों प्रवासी मजदूरों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा था. इस दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों की भूख-प्यास या फिर सड़क हादसे में मौत हो गई थी ऐसी ही एक दिल दहलाने वाली घटना 8 मई को औरंगाबाद जिले में हुई थी. रात के वक्त 16 मजदूरों की रेलवे की पटरी पर मालगाड़ी की चपेट में आ जाने के चलते मौत हो गई थी.

स्टील फैक्ट्री में काम करते थे मजदूर

सभी 16 मजदूर महाराष्ट्र के जालना में एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे. लॉकडाउन के चलते उनकी नौकरी चली गई थी. वो सरकार की ओर से चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन से वापस अपने घर जाने वाले थे. ट्रेन नहीं ले सके तो उन्होंने 7 मई, 2020 को पैदल ही घर जाने का रास्ता चुना.

उस वक्त ट्रेनें न के बराबर चल रही थीं, ऐसे में उन्होंने रेलवे ट्रैक पर ही आराम करने का फैसला किया था लेकिन रात के अंधेरे में उनके ऊपर से एक मालगाड़ी गुजर गई थी. मजदूरों की मौत हो जाने के बाद पोस्टमार्टम करने बाद सभी मजदूरों के शव को विशेष रेल गाड़ी से उमरिया एवं शहडोल भेज दिया गया. 11 मजदूर एमपी के शहडोल जिले और 5 मजदूर उमरिया जिले के थे.

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औरंगाबाद से जारी होंगे डेथ सर्टिफिकेट: स्थानीय अधिकारी

मध्य प्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा दी गई राहत राशि परिजनों को मिल गई है लेकिन सभी मजदूरों के डेथ सर्टिफिकेट उनके परिजनों को आज तक नहीं मिले हैं. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि डेथ सर्टिफिकेट महाराष्ट्र के औरंगाबाद से जारी होने है. शहडोल जिला प्रशासन का कहना है कि उन्होंने महाराष्ट्र के औरंगाबाद प्रशासन को लेटर लिखे, फोन किया लेकिन 10 महीने बाद भी डेथ सर्टिफिकेट नहीं आए हैं.

डेथ सर्टिफिकेट बिना न बीमा, न पेंशन, न जमीन

रेल दुर्घटना में जिन लोगों की मृत्यु हुई थी, उनमें अंतौली ग्राम के बृजेश उम्र 28 वर्ष, शिवदयाल उम्र 25 वर्ष पिता गजराज सिंह, राजबहोर उम्र 30 वर्ष पिता पारस सिंह, धर्मेंद्र सिंह उम्र 26 वर्ष पिता गेंतराज सिंह, दीपक उम्र 25 वर्ष पिता अशोक सिंह, धन सिंह उम्र 30 वर्ष पिता गणपत सिंह, बृजेश उम्र 32 वर्ष पिता भैयादीन, निर्वेश उम्र 20 वर्ष पिता रामनिरंजन, रावेंद्र उम्र 18 वर्ष पिता रामनिरंजन तथा ग्राम बैरिहा के संतोष सेन उम्र 27 वर्ष पिता राम निहोर सेन एवं सुरेश कोल पिता मलाई कोल उम्र 30 वर्ष ग्राम शहर गढ़ शामिल थे.

औरंगाबाद के कलेक्टर ने कहा- 'जल्द दिया जाएगा प्रमाणपत्र'

शहडोल के कलेक्टर से बात हुई है. मृत्यु प्रमाणपत्र बनने की प्रक्रिया जारी है. जल्द ही परिजनों को सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा.
सुनील चव्हाण, कलेक्टर, औरंगाबाद

परिजनों के बैंक के काम अटके

हादसे में जान गंवाने वाले मजदूर राज बहार की पत्नी सुनीता सिंह ने भी बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने के कारण विधवा पेंशन नहीं मिल रही है. मृतक मजदूर बृजेश की पत्नी पार्वती सिंह का कहना है कि मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने के कारण बैंक के काम नहीं हो पा रहे हैं और ना ही विधवा पेंशन उसे मिल पा रही है.

रेल दुर्घटना में अपने दोनों बेटों बृजेश एवं शिवदयाल को खोने वाले गजराज सिंह ने बताया कि बैंक वाले कहते हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र लाओ तभी काम होगा.

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