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लॉकडाउन डायरीज 3: पुरानी एलबम, मां का प्यार और एक स्पेशल डिश

लॉकडाउन काल के घरेलू किस्से वीडियो के जरिए

वैभव पलनीटकर
वीडियो
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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एडिटर: राहुल संपुई

21 के दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन पर ये है मेरी Vlog सीरीज- लॉकडाउन डायरीज. तीसरे एपिसोड में 31 मार्च से 2 अप्रैल तक के दिन की अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को दिखाया है. जब पूरी दुनिया में कोरोनावायरस का संकट चरम पर है, भारत में लॉकडाउन हो चुका है. बाजार बंद हैं, दुकानें सूनी हैं. बिना इमरजेंसी के घर से बाहर निकलने पर सख्त मनाही है. ऐसे में दुनिया घर तक सीमित होकर रह गई है.

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31 मार्च

हर दिन की तरह मैंने कसरत के साथ दिन की शुरुआत की. खास बात रही कि आज मैंने प्राणायाम भी ट्राय किया. प्राणायाम करते मुझे काफी बेहतर महसूस हुआ. इसके बाद मैंने आम दिनों की तरह नाश्ता किया. काफी दिनों से रुटीज सी जिंदगी जीते हुए उबाई महसूस हो रही थी. तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली और मैंने पड़ौस में रहने वाले अपने भाई उत्कर्ष को बुलाया. उसने भारतीय स्टाइल में तबले का कुछ जुगाड़ जमाया. फिर हमने कुछ गाने गाए. मैंने इसके बाद घर से ही फोन पर ऑफिस का कुछ काम किया. इसके बाद डिनर की तैयारी. मैंने अपनी बहन संपदा के साथ मिलकर एक साथ डिश बनाई. फिर वही डिनर और नींद.

1 अप्रैल

नया महीना. अप्रैल महीने की पहली तारीख. लॉकडाउन की बोरियत अब महसूस होने लगी है. कैलेंटर पर काउंटडाउन भी शुरू कर दिया है. कोरोना्रैवायरस के लगातार बढ़ते मामले चिंता बढ़ा रहे हैं. मध्य प्रदेश का इंदौर शहर कोरोना वायर  का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है. अपने खाने पीने को लेकर सतर्कता भी बढ़ रही है. मैं उन चीजों को ज्यादा से ज्यादा खा रहा हूं जिससे इम्यूनिटी बढ़े. विटामिन सी को अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा शामिल करने की कोशिश कर रहा हूं. जाने अनजाने कुछ न कुछ पुरानी यादें रह रहकर ताजा हो रही हैं.

2 अप्रैल

आम दिनों की तरह व्यायाम के साथ दिन की शुरुआत. लेकिन एक चीज ने आज मुझे आकर्षित किया. मेरे घर के पास ही एक पीपल का पेड़ है, जिस पर सुबह सुबह सैकड़ों चिड़ियां बैठती हैं. पक्षियों के कलरव को सुनना एक गजब का आनंद देता है. मैं अपने घर से ही लगातार रिकॉर्ड कर रहा हूं और आप तक अपने लॉकडाउन के किस्से आप तक पहुंचा रहा हूं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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