Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-20191200 किमी पैडल मारने पर ज्योति की तारीफें, कम न हुईं तकलीफें

1200 किमी पैडल मारने पर ज्योति की तारीफें, कम न हुईं तकलीफें

13 साल की ज्योति कुमारी को 1200 किलोमीटर का सफर साइकल से तय करने को मजबूर कर दिया

क्विंट हिंदी
वीडियो
Updated:
1200 किमी पैडल मारने पर ज्योति की तारीफें, कम न हुईं तकलीफें
i
1200 किमी पैडल मारने पर ज्योति की तारीफें, कम न हुईं तकलीफें
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

लॉकडाउन के चलते 15 साल की ज्योति कुमारी के साइकिल से अपने पिता को लेकर 1200 किलोमीटर सफर करने की कहानी तो आपने सुन ली, लेकिन उसके परिवार और गरीबी की कहानी और भी ज्यादा दर्दनाक है. ज्योति पहाड़ जैसी परेशानियों के साथ अपनी जिंदगी बसर कर रही है. बैंक का लोन चुकाना है, पिता की नौकरी नहीं है और यहां तक कि घर पर शौचालय भी नहीं है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इवांका ने ट्विटर पर लिखा है,

“15 साल की ज्योति कुमारी अपने घायल पिता को साइकिल से सात दिनों में 1,200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गई. सहनशक्ति और प्यार की इस वीरगाथा ने भारतीय लोगों और साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है.”

क्या है पूरी कहानी?

दरअसल, दरभंगा के सिरूहल्ली में आठवीं क्लास में पढ़ने वाली 15 साल की ज्योति के पिता हरियाणा के गुरुग्राम में बैटरी वाली गाड़ी चलाते थे, इसी बीच जनवरी के महीने में उनका एक्सिडेंट हो गया. जिसके बाद ज्योति और उसके चार भाई बहन अपनी मां के साथ गुरूग्राम गए थे. ज्योति ने गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा की दूरी 7 दिनों में तय की.

ज्योति की मां बिहार में ही आंगनबाड़ी में काम करती हैं, पति के इलाज की वजह से उन्हें छुट्टी लेकर गुरुग्राम जाना पड़ा. लेकिन काम पर वापस आने की वजह से ज्योति को उसके पिता के पास छोड़कर बिहार वापस आना पड़ा. इसी बीच लॉकडाउन हो गया, जिसकी वजह से ज्योती के पिता मोहन पासवान का इलाज भी बंद हो गया है. साथ ही उसके पिता का गुजारा करना मुश्किल होने लगा था.

साइकिल के लिए नहीं था पैसा

क्विंट से बात करते हुए ज्योति की मां फूलो देवी ने बताया कि जब गुरुग्राम में खाने की दिक्कत होने लगी, तब ज्योति अपने पिता से घर चलने के लिए जिद करने लगी.

ट्रेन-बस कुछ नहीं चल रहा था, मकान मालिक भी परेशान करने लगे थे. उन लोगों के पास पैसे नहीं था, लेकिन लॉकडाउन में सरकार की तरफ से 1000 रुपए मिले. तब ज्योति ने गुरुग्राम में रहने वाले एक आदमी से पुरानी साइकिल खरीदने की बात की, जो 1200 रुपए मांग रहे थे, लेकिन ज्योति ने उन्हें कहा कि 500 रुपया अभी ले लीजिए और 700 वापस गुरुग्राम से आने के बाद देंगे. पहले तो इसके पिता नहीं मान रहे थे, लेकिन मजबूरी में मान गए. दोनों 7 मई को चले थे और 15 मई को गांव पहुंचे.

साइकिलिंग फेडरेशन से आया ऑफर

अब मीडिया में खबर आने के बाद भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन ने ज्योति को एक ऑफर दिया है. एसोसिएशन चाहता है कि वह दिल्ली आएं और ट्रायल दें, जिससे कि उन्हें साइकलिंग में ट्रेनिंग दी जाए.

फिलहाल ज्योति के पिता मोहन पासवान गांव के एक क्वॉरन्टीन सेंटर में हैं और ज्योति होम क्वॉरन्टीन में. लेकिन देशभर की मीडिया उसे घेरे हुए है. हर कोई ज्योति से उसके सफर के बारे में उसके सपने के बारे में जानने की कोशिश कर रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 26 May 2020,10:56 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT