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लॉकडाउन के चलते 15 साल की ज्योति कुमारी के साइकिल से अपने पिता को लेकर 1200 किलोमीटर सफर करने की कहानी तो आपने सुन ली, लेकिन उसके परिवार और गरीबी की कहानी और भी ज्यादा दर्दनाक है. ज्योति पहाड़ जैसी परेशानियों के साथ अपनी जिंदगी बसर कर रही है. बैंक का लोन चुकाना है, पिता की नौकरी नहीं है और यहां तक कि घर पर शौचालय भी नहीं है.
इवांका ने ट्विटर पर लिखा है,
दरअसल, दरभंगा के सिरूहल्ली में आठवीं क्लास में पढ़ने वाली 15 साल की ज्योति के पिता हरियाणा के गुरुग्राम में बैटरी वाली गाड़ी चलाते थे, इसी बीच जनवरी के महीने में उनका एक्सिडेंट हो गया. जिसके बाद ज्योति और उसके चार भाई बहन अपनी मां के साथ गुरूग्राम गए थे. ज्योति ने गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा की दूरी 7 दिनों में तय की.
ज्योति की मां बिहार में ही आंगनबाड़ी में काम करती हैं, पति के इलाज की वजह से उन्हें छुट्टी लेकर गुरुग्राम जाना पड़ा. लेकिन काम पर वापस आने की वजह से ज्योति को उसके पिता के पास छोड़कर बिहार वापस आना पड़ा. इसी बीच लॉकडाउन हो गया, जिसकी वजह से ज्योती के पिता मोहन पासवान का इलाज भी बंद हो गया है. साथ ही उसके पिता का गुजारा करना मुश्किल होने लगा था.
क्विंट से बात करते हुए ज्योति की मां फूलो देवी ने बताया कि जब गुरुग्राम में खाने की दिक्कत होने लगी, तब ज्योति अपने पिता से घर चलने के लिए जिद करने लगी.
अब मीडिया में खबर आने के बाद भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन ने ज्योति को एक ऑफर दिया है. एसोसिएशन चाहता है कि वह दिल्ली आएं और ट्रायल दें, जिससे कि उन्हें साइकलिंग में ट्रेनिंग दी जाए.
फिलहाल ज्योति के पिता मोहन पासवान गांव के एक क्वॉरन्टीन सेंटर में हैं और ज्योति होम क्वॉरन्टीन में. लेकिन देशभर की मीडिया उसे घेरे हुए है. हर कोई ज्योति से उसके सफर के बारे में उसके सपने के बारे में जानने की कोशिश कर रहा है.
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