advertisement
वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
कैमरा: अभिषेक रंजन
कथित लव जिहाद के खिलाफ यूपी के अध्यादेश और देश के कानून के बीच सीधी लड़ाई है और इस लड़ाई पर हमें और आपको नजर रखनी चाहिए, इसके बारे में पूरी जानकारी रखनी चाहिए क्योंकि दांव पर हमारे मौलिक अधिकार हैं....अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार....जीने का अधिकार और आजादी का अधिकार.
यूपी सरकार शादी के लिए कथित तौर पर जबरन धर्म बदलवाने के खिलाफ एक अध्यादेश लेकर आई है. ये तब हुआ है जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वो कथित लव जिहाद के खिलाफ कानून लाएंगे. अध्यादेश में कड़ी सजा का प्रावधान है.
इधर यूपी सरकार ऐसी सजा देने की मंशा दिखाई है और उधर यूपी की सबसे बड़ी अदालत इलाहाबाद हाईकोर्ट यूपी सरकार से सहमत नहीं दिखता है. इससे कुछ लोगों को कन्फ्यूजन हो सकता है. क्योंकि कुछ ही दिन पहले सीएम योगी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक रूलिंग का हवाला देकर लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने की बात कही थी.
सच ये है कि 11 नवंबर को उसी इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो जजों की बेंच ने सितंबर की रूलिंग को गलत ठहराया. अदालत सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार जो कि अब आलिया है, की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
प्रियंका के पिता ने कपल के खिलाफ केस किया था और प्रियंका ने अदालत से केस खत्म करने की गुहार लगाई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा-
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को जरा ध्यान से देखें. क्योंकि ये व्यवस्थित ढंग से बताता है कि उत्तरप्रदेश सरकार का लव जिहाद अध्यादेश कितना गलत, गैरकानूनी और असंवैधानिक है. इस फैसले में एक और महत्वपूर्ण लाइन है एक वयस्क की पसंद की उपेक्षा करना, ये ना केवल उसकी पसंद की आजादी के लिए विरोधी होगा, बल्कि भारत की विविधता में एकता की अवधारण को भी खतरे में डालता है.
कोर्ट के फैसले में कहा गया है-
मतलब ना तो योगी आदित्यनाथ की सरकार, एंटी लव जिहाद वाले ग्रुप और यहां तक कि प्रियंका के पिता भी उसे नहीं रोक सकते.
जब यूपी के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने महिला के पिता के पक्ष में बहस करते हुए हाईकोर्ट के सितंबर के फैसले का हवाला दिया कि केवल शादी के लिए धर्मांतरण स्वीकार्य नहीं था . जैसा कि मैंने थोड़ा पहले उल्लेख किया है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से उस फैसले को खारिज करते हुए उसे "कानून में बुरा" .. गलत! बताया था.
तो क्या आदित्यनाथ सरकार को यहीं रुककर, फिर से विचार करके अपना अध्यादेश वापस लेना चाहिए क्योंकि ये एक दोषपूर्ण और गलत अदालत के फैसले पर निर्भर है? हां, उसे ऐसा करना चाहिए. लेकिन क्या वो ऐसा करेगी? ऐसा लगता नहीं है.
चलिए, इस अध्यादेश की कुछ और परेशान करने वाली बड़ी डीटेल्स पर नजर दौड़ाते हैं-
इनमें से एक ये है कि - यह साबित करने का जिम्मा कि धर्मांतरण जबरन नहीं किया गया, धोखे से नहीं किया गया, केवल शादी के लिए नहीं किया गया... धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति पर होगा.
इसका क्या मतलब है? कल्पना कीजिए कि अलग-अलग आस्थाओं के दो लोग- मुस्लिम लड़का और हिंदू लड़की या हिंदू लड़का, मुस्लिम लड़की, ऐसा ही कोई कपल.
अब, इस अध्यादेश की वजह से, कोई भी परिवार से लेकर 'लव जिहाद' के खिलाफ आवाज उठाने वालों तक और स्थानीय प्रशासन तक भी बिना किसी गंभीरता के जबरन धर्मांतरण का आरोप लगा सकता है और अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने की कोशिश में अति-उत्साही पुलिस केस दर्ज करके जबरन धर्मांतरण का दावा करते हुए कपल को अरेस्ट कर सकती है और फिर वो आराम से बैठ सकती है और उधर कपल यह साबित करने की कोशिश करेगा कि धर्मांतरण जबरन नहीं था. क्या ये सुनने में सही लगता है? नहीं. लेकिन बात तो यही है. ये अध्यादेश अच्छे के मकसद से है ही नहीं.
अब, अध्यादेश से परेशान करने वाली एक और डीटेल्स के बारे में जानिए- जो कोई भी शादी के लिए धर्मांतरण करना चाहता है, उसे लोकल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को 2 महीने का एडवांस्ड नोटिस देना होगा, नहीं तो जुर्माने और 3 साल की जेल की सजा का सामना करना पड़ेगा. अब सही मायने में इसका क्या मतलब है?
फिर से वही बात. क्या ये सही लगता है? नहीं...लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, यह बात ही नहीं है...यह अध्यादेश अच्छे के लिए है ही नहीं. यह अध्यादेश हमें बांटने के लिए है. भारत के मुस्लिमों पर और परेशान करने के लिए है. अंतरधार्मिक शादियों के विचार का आपराधीकरण करके वखासकर हिंदू-मुस्लिम शादियों का, उन पर 'लव जिहाद' का ठप्पा लगाकर.
अब तक कोई कट्टर दक्षिणपंथी ही मान सकता था कि 'लव जिहाद' जैसी कोई चीज है और इसे लेकर फेक न्यूज फैला सकता था, लेकिन यह अध्यादेश इसे वास्तविक बनाना चाहता है...यहां तक कि यह प्यार करने को भी अपराध बना सकता है! लेकिन ये जो इंडिया है ना...एक सेल्युलर इंडिया...वो इंडिया, ऐसा होने नहीं देगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined