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महाराष्ट्र में शरद पवार का पावर फेल करने में जुटे प्रकाश अंबेडकर

महाराष्ट्र: विधानसभा चुनावों में भी विपक्ष में बिखराव के संकेत  

रौनक कुकड़े
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 शरद पवार गैर बीजेपी कुनबे को एक साथ नहीं ला पाए.
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शरद पवार गैर बीजेपी कुनबे को एक साथ नहीं ला पाए.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

मोदी के सुनामी में सियासत के बड़े-बड़े और पुराने पेड़ उखड़े. उनमें से एक शरद पवार भी हैं. लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन ने 48 में से 41 सीटें जीतीं. कांग्रेस-NCP गठबंधन के हाथ आई सिर्फ 5 सीटें. इसके अलावा NCP समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार की सीट भी शामिल थी.

लोकसभा चुनावों में करारी हार की एक वजह ये भी रही कि शरद पवार गैर बीजेपी कुनबे को एक साथ नहीं ला पाए. खासकर वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ नहीं आने का गठबंधन को बड़ा नुकसान हुआ. अब लग  रहा है कि इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष में ये बिखराव जारी रहेगा.

शरद पवार अब देश के नेता नहीं रहे. लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन का जो हाल  किया है उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि पवार साहब अब बारामती के नेता ज्यादा लगते हैं.
<b>प्रकाश अंबेडकर, वंचित बहुजन अघाड़ी</b>
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इशारा साफ है प्रकाश अंबेडकर विधानसभा चुनाव में भी एनसीपी-कांग्रेस से गठबंधन करने के मूड में नहीं है. इसकी वजह भी है. अघाड़ी को महाराष्ट्र के कम से कम 10 सीटों पर एक लाख से ज्यादा वोट मिले. चार सीटों पर वो दूसरे नंबर की पार्टी रही. चार सीटों पर उसे ढाई लाख से ज्यादा वोट मिले. ऐसे में प्रकाश ये जानते हैं कि यही सही मौका का है राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बनने का.

वंचित बहुजन अघाड़ी को अकोला, सांगली, सोलापुर और परभनी में 2.50 लाख से ज्यादा वोट मिले. अकोला, नांदेड़, परभनी और सांगली में पार्टी दूसरे नंबर पर रही.  

प्रकाश अंबेडकर-कहीं पर निगाहें ,कहीं पर निशाना

प्रकाश के करीबी मानते हैं कि अगर अघाड़ी एनसीपी-गठबंधन के साथ गई तो उसे विधानसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा 20 सीटें मिलेंगी. लेकिन अगर वो अकेले लड़ी तो राज्य की सभी 288 सीटों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा सकती है.

लोकसभा चुनावों के दौरान भी अघाड़ी एनसीपी-कांग्रेस के साथ नहीं गई क्योंकि वो 25 सीटें मांग रही थी और उसे 4-5 सीटों का ही ऑफर था. यही वजह है कि प्रकाश सीधे शरद पवार पर निशाना साध कर एनसीपी-कांग्रेस के वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही जनता के बीच खुद को मजबूत विपक्षी पार्टी के तौर पर पेश कर रहे हैं.

लेकिन पवार को पार पाना मुश्किल है

शरद पवार भले ही लोकसभा चुनावों में चार सीटों पर सिमट गये हैं लेकिन विधानसभा चुनावों में उनकी ताकत को कम नहीं आंका जा सकता. पवार उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जो महाराष्ट्र की नब्ज को अच्छे से समझते हैं. उन्हें मालूम है कि शिवसेना-बीजेपी गठबंधन बेहद मजबूत स्थिति में है और इसका काट निकालने के लिए सबकुछ झोंकना होगा.

लिहाजा पवार ने अभी से सूखा ग्रस्त गांवों का दौरा शुरू कर दिया. पवार यहीं नहीं रुके. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को आरएसएस से प्रचार के गुर सीखने की सलाह दी है. पवार ने साफ कर दिया है कि अगर एनसीपी को सफलता पानी है तो कार्यकर्ताओं को पूरे तन-मन से मेहनत करनी होगी.

एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की तरफ से अब भी प्रकाश अंबेडकर को करीब लाने की कोशिशें हो  रही हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो भी पवार अपने बूते चमकने की तैयारी में जुट गए हैं. इसलिए कार्यकर्ताओं से घर-घर जाकर मेहनत करने को कह रहे हैं.

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