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सूखे के लिए सुर्खियों में रहने वाला महाराष्ट्र डूबा हुआ है. 27 लोगों की मौत हो चुकी है. बाढ़ ने लाखों लोगों की जिंदगी बेपटरी कर दी है. लाखों हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो चुकी है. सबसे खराब हालत सांगली, कोल्हापुर और सतारा की है. मुसीबत ये है कि अभी और बारिश होने की आशंका है.
कुल मिलाकर ढाई लाख लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा है. सिर्फ कोल्हापुर से करीब एक लाख लोगों को निकाला गया है. सांगली में यही आंकड़ा 80 हजार के करीब है तो सतारा में 7 हजार. सिर्फ कोल्हापुर जिले में 67 लाख हेक्टेयर पर लगी फसल तबाह हो गई है. 30 हजार मवेशियों को कैंप में रखा गया है.
कोल्हापुर, सांगली इलाके में बहने वाली कृष्णा और पंचगंगा नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है. इसलिए खतरा लगातार बना हुआ है. अभी भी सैकड़ों लोग जलभराव के चलते अपने घरों में फंसे हुए हैं. कोल्हापुर में रेस्क्यू ऑपरेशन में नेवी और NDRF की 60 बोट्स लगाई गई हैं. बाढ़ कितना खतरनाक रूप ले चुका है इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि 8 अगस्त को सांगली में राहत बचाव कार्य में लगी एक नाव पलट गई, जिससे 9 लोग डूब गए.
खतरा सिर्फ बाढ़ में बह जाने का नहीं है. बीमारियां फैल रही हैं. इससे बचाने के लिए सरकार मुंबई से 100 डॉक्टरों की टीम भेज रही है.
बाढ़ और लगातार बारिश के बीच फंसे लोगों की नेताओं को कितनी चिंता है, इस आपदा के प्रति कितनी संवेदना है, आप इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि सूबे के जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन सांगली में बाढ़ पीड़ितों संग सेल्फी खिंचाते नजर आए हैं. हालांकि दूसरी तरफ वो तस्वीरें भी उम्मीद बंधाती हैं जिसमें मुस्लिम समाज मदरसों में बाढ़ पीड़ितों के खाने और ठहरने का इंतजाम करता हुआ दिखता है.
बाढ़ में नेताओं के चुनावी प्लान भी बह गए हैं. सीएम फड़णवीस,आदित्य ठाकरे के अलावा एनसीपी को भी अपनी चुनावी यात्रा को बीच में ही रद्द करना पड़ा है. आने वाले दिनों में राहत की उम्मीद नहीं है कि क्योंकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार महाराष्ट्र में अगले दो दिन में भारी बारिश होने का अनुमान है.
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