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1 मई को जन्मे महाराष्ट्र और गुजरात, बॉम्बे को लेकर फंसा था पेच

कांग्रेस और RSS भाषाई आधार पर नहीं चाहते थे राज्यों का गठन

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1 मई को गुजरात और महाराष्ट्र का स्थापना दिवस
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1 मई को गुजरात और महाराष्ट्र का स्थापना दिवस
प्रतीकात्मक तस्वीर

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1 मई का दिन, गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्यों के लिए बेहद खास है. इसी दिन साल 1960 में दोनों राज्यों का उदय हुआ था. भारत के नक्शे पर इसी दिन दोनों राज्यों का अलग-अलग अस्तित्व आया. वैसे तो दोनों राज्यों के लिए ये स्थापना दिवस महत्वपूर्ण है. लेकिन महाराष्ट्र में इसका उत्साह गुजरात से ज्यादा दिखाई देता है.

मुंबई पुनर्गठन अधिनियम, 1960 के साथ 1 मई 1960 को बम्बई राज्य को विभाजित कर महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की स्थापना हुई थी. कोंकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ जैसी सभी मराठी भाषी जगहों को जोड़ कर महाराष्ट्र की स्थापना की गई.

कांग्रेस और RSS भाषायी आधार पर नहीं चाहती थी राज्यों का गठन

आजादी से पहले, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत में भाषायी आधार पर राज्यों को बनाने का वादा किया था. हालांकि, आजादी के बाद नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का विरोध किया. उन्हें डर था कि भाषाई राज्य भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा हो सकते हैं. सबसे चौंकाने वाली बात थी कि उन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और इसके प्रमुख माधव सदाशिव गोलवलकर ने भी नेहरू और पटेल के भाषाई आधार पर राज्य नहीं बनाने के फैसले का सपोर्ट किया.

नेहरू को मजबूरी में लेना पड़ा फैसला

लेकिन नेहरू को कम से कम दक्षिणी राज्यों के संदर्भ में इस रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जब तत्कालीन मद्रास राज्य में तेलुगू भाषी लोगों के लिए अलग से राज्य की मांग के लिए आंदोलन शुरू हो गया. और पोट्टी श्रीरामुलू (जिन्होंने पहले गांधीजी के नमक-सत्याग्रह में भी भाग लिया था) की 15 दिसंबर 1952 को मौत हो गई.

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बॉम्बे को गुजरात में शामिल करने की हो रही थी मांग

1947 के बाद बॉम्बे प्रेसिडेंसी में महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तरी कर्नाटक शामिल थे. लेकिन जब राज्यों के विभाजन की बात आई तो गुजरात के बड़े कारोबारी चाहते थे कि 'बॉम्बे' या तो गुजरात का हिस्सा रहे या अलग केंद्र शासित प्रदेश बने. ऐसे कारोबारियों को बॉम्बे के उस समय के सीएम मोरारजी देसाई का समर्थन भी मिला.

लेकिन 1956 में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की शुरुआत हो गई. महाराष्ट्र में ही बॉम्बे को शामिल करने की मांग तेज हो गई. 21 नवंबर 1955 और 16 जनवरी 1956 के बीच सेनापति बापट, शाहीर अमर शेख, पीके अत्रे, एसए डांगे, के जेढ़े, एसएम जोशी ने आंदोलन की अगुवाई की. लेकिन सीएम मोरारजी देसाई ने प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग के आदेश दिए. इसमें 106 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. बाद में गुजरात और महाराष्ट्र को अलग-अलग राज्य बनाने पर सहमति बनी. 1 मई 1960 को नेहरू ने ऐलान किया कि बॉम्बे महाराष्ट्र में ही रहेगा. लेकिन बेलगाम, करवार, डंग, दमन और दीव को महाराष्ट्र में नहीं शामिल किया गया.

आज भी महाराष्ट्र के लोग इसी वजह से काफी खुश हैं और इस दिन को काफी धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं क्योंकि बॉम्बे यानी मुंबई उन्हीं के पास है.

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Published: 30 Apr 2018,07:47 PM IST

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