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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार/आशुतोष भारद्वाज
एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने के लिए तैयार थे. लेकिन आधी रात को गुपचुप एक फैसला हुआ और तड़के सुबह फडणवीस ने सीएम और शरद के भतीजे अजित ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली.
एनसीपी-सेना-कांग्रेस के 'बेमेल गठबंधन' को मोदी-शाह की 'चाणक्य-नीति' ने चुनौती दी. लेकिन तभी सीनियर पवार ने सामने से मोर्चा संभाला. सिर्फ 72 घंटे में अजित पवार की 'घर वापसी' हो गई और फडणवीस ने 'सरेंडर' कर दिया. महाराष्ट्र के फाइनल सीजन में आखिरी बाजी शरद पवार के हाथ लगी.
शरद पवार स्कूल के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं. उन्होंने गोवा की स्वतंत्रता के लिए 1956 में प्रवरनगर में विरोध मार्च का आयोजन किया था. इसके 2 साल बाद यूथ कांग्रेस से जुड़ गए.
कुछ सालों बाद वो वापस कांग्रेस में लौटें. जून 1988 में, तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने महाराष्ट्र के सीएम शंकरराव चव्हाण को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया. उनकी जगह पवार ने सीएम की जगह ली.
फरवरी 1990 में बीजेपी-सेना के गठबंधन के सामने कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला. लेकिन 12 निर्दलीय के समर्थन के साथ पवार पावर में लौटे.
1991 में, राजीव गांधी की हत्या के बाद पीएम पद के लिए पवार का नाम उछला लेकिन उन्होंने रक्षा मंत्रालय का जिम्मा संभाला. मार्च 1993 में मुंबई दंगों की वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकरराव नायक को पद छोड़ना पड़ा. जिसके बाद पवार को शीर्ष गद्दी वापस मिल गई.
लेकिन पवार का कांग्रेस से जुड़ाव नहीं टूटा. अक्टूबर 1999 में महाराष्ट्र चुनाव में जब कांग्रेस बहुमत के आंकड़ो से पीछे रह गई, तब पवार किंगमेकर बनकर उभरे. शरद की बेटी सुप्रिया सुले भी लोकसभा सांसद हैं.
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