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महाराष्ट्र चुनाव: क्या है विदर्भ के वोटर का मूड?

महाराष्ट्र के वर्धा से चंद्रपुर तक क्विंट की चुनावी यात्रा

रौनक कुकड़े
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वर्धा से चंद्रपुर तक क्विंट की चुनावी यात्रा
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वर्धा से चंद्रपुर तक क्विंट की चुनावी यात्रा
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

कौन होगा महाराष्ट्र का सरताज और जनता किसे सौपेगी सत्ता की चाबी? ये जानने के लिए क्विंट का करवां पहुंचा विदर्भ. विदर्भ का चंद्रपुर वही इलाका है जहां से कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपना खाता खोला था. क्या विधानसभा चुनाव में यहां की जनता फिर कांग्रेस का साथ देगी या शिवसेना बीजेपी के साथ खड़ी रहेगी,चलिए जनता से ही समझने की कोशिश करते हैं कि वो क्या सोचते हैं?

वंदना वेले का कहना है कि सरकार गरीब और किसानों और बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ नहीं सोच रही है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार ने लोगों के लिए कुछ नहीं किया है.

इन सब मूलभूत सुविधाओं को छोड़कर सरकार दूसरे कामों में लगी हुई है. लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है,बस कई जगहों पर नहीं रूकती है. हमें बहुत दिक्कत होती है. नौकरियों की भर्ती नहीं हो रही है. लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर रखा जा रहा है. 
वंदना वेले, स्थानीय नागरिक
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वहीं रिटायर्ड कर्मचारी नाना अगड़े का कहना है कि विदर्भ में इतने काम होते मैंने कभी नहीं देखे. रास्ते बन रहे हैं. मेट्रो बन रही है. पुरे विदर्भ में अच्छा काम हो रहा है.

फडणवीस सरकार की काम को देखते हुए मुझे लगता है की महाराष्ट्र में बीजेपी की ही सरकार आनी चाहिए. 
नाना अगड़े, रिटायर्ड कर्मचारी

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर सिद्धार्थ यादव का कहना है कि पढ़े-लिखे लोगों को काम करने नागपुर या मुंबई जाना पड़ता है. यहां पर ही कोई कंपनी आती तो लोगों को रोजगार मिलता.

चंद्रपुर जिले में घूमने के बाद एक बात तो साफ दिखती है की बीजेपी के लिए 2019 विधानसभा की राह इतनी आसान नहीं है. बीजेपी ने 2014 में 6 में 4 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन सरकार आने के बाद जिले में शराब बंदी लागू करना सरकार के लिए गले की फांस बनती हुई दिख रही है. इतना ही नहीं बेरोजगारी भी यहां के लोगों के लिए बड़ा मुद्दा है. 24 अक्टूबर को नतीजों के साथ साफ होगा की जनता आखिर किस मूड में है.

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