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कैमरा: देबायन दत्ता
वीडियो एडिटर: राहुल शंपुई
प्रोड्यूसर: बादशा रे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 मार्च को #MainBhiChaukidar कैंपेन की शुरुआत की. इसके बाद ट्विटर और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों ने अपनी राय देना शुरू की. एक तरफ लोग अपने ट्विटर हैंडल में चौकीदार जोड़ रहे थे, तो दूसरी तरफ इसे जुमलेबाजी बताया जा रहा था. कौन सही, कौन गलत की बहस से ऊपर उठकर हमने सोचा क्यों ना चौकीदारों से ही पूछें कि जनाब आप इस पर क्या सोचते हैं? और आपको झलक दिखाएं, एक असली चौकीदार की. वही जो आपकी कॉलोनी के गेट पर खड़ा रहता है दिन-रात, आते-जाते चेहरों और गाड़ियों पर नजरें गाड़े. क्या होती है उसकी दिनचर्या? उसी से पूछें कैसे होती है चौकीदारी? कैसे और क्यों बनते हैं चौकीदार?
इस वीडियो में ना सेंसेशन है ना चीखते-चिल्लाते चेहरे. ना इसमें कुछ कूल है ना स्टाइलिश. इसमें बस चेहरे हैं.
वो चेहरे, जिनको हमने कभी पलटकर देखा ही नहीं. ईद हो या दिवाली, जिसने कभी छुट्टी ली ही नहीं. रात के सन्नाटे में लाठी की चोट तो कान पे पड़ी ही होगी, आईये उस लाठी को थामने वाले हाथों से आपको मिलाते हैं.
इस वीडियो की कोशिश सिम्पैथी बटोरने की नहीं, बल्कि असली चौकीदारों के लिए एक कृतज्ञ भाव जगाने की है. इसी इरादे से हमने एक पूरी रात या यूं कहें कि पूरी शिफ्ट बिताई चौकीदारों के साथ ऑन ड्यूटी.
इंटरव्यू भी ऑन ड्यूटी, राउंड लगाते हुए दिया.
(Disclaimer: ये वीडियो चौकीदारों के उनकी ड्यूटी पर तैनात रहने के दौरान की शूट किया गया.)
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