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‘मी, द चेंज’ कैंपेन: 2019 चुनाव के 'क्वीनमेकर्स' से मिले आप?
जबरदस्त, निर्णायक, साहसी और भारत की राजनीति को बदलने के लिए तैयार? 2019 का लोकसभा चुनाव भारत के इतिहास में एक टर्निंग पॉइंट बनने वाला है. लेकिन इसमें एक 'किंगमेकर' या यूं कहिए कि 'क्वीनमेकर' की भूमिका अहम होगी.
वैसी 'क्वीनमेकर्स’ यानी पहली बार वोट करने जा रहीं महिला वोटर्स से क्विंट आपको मिलवाने जा रहा है.
चाहे अपनी कम्युनिटी में बदलाव की बात हो, नए तौर-तरीकों पर काम करने की बात हो, म्यूजिक और आर्ट्स के जरिए दकियानूसी सोच को तोड़ने की बात हो या कारोबार के नियमों को नए सिरे से परिभाषित करना हो- गांवों और छोटे शहरों की युवा महिलाएं उम्मीद से परे जाकर उपलब्धियों को हासिल कर रही हैं. वे और उनकी महत्वाकांक्षाएं अगले एक दशक में भारत को बदल देंगी.
फेसबुक और क्विंट की ओर से पेश है ये 6 महीने तक चलने वाला स्पेशल कैंपेन ‘मी, द चेंज’. इसके जरिए आपको बताया जाएगा कि ये वोटर्स क्या चाहती हैं और इन्होंने अपना मुकाम कैसे हासिल किया.
और अब आपकी बारी और सवाल- क्या आप तैयार हैं?
मौजूदा समय के रिसर्च और डेटा से पता चलता है कि चुनाव में तीन फैक्टर जरूरी होंगे. पहला, वैसे वोटर्स की संख्या जो पहली बार वोट डाल रहे हैं. इलेक्शन कमिशन के मुताबिक, चुनाव के लिए 18 से 20 साल की उम्र के लगभग 2.6 करोड़ युवा लोग पहले से ही रजिस्टर्ड हैं.
दूसरा, फर्स्ट टाइम वोटर्स का एटिट्यूड; जो उन्हें हर राजनीतिक दल का मुख्य लक्ष्य बनाते हैं.
तीसरा, देश की राजनीतिक तस्वीर तय करने में अहम रोल अदा करने वाले इस डेमोग्राफी पर सोशल मीडिया का असर. युवा पुरुष और महिलाएं फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर बेहद एक्टिव रहते हैं, तो फिर इन्हें राजनीति से अलग क्यों होना चाहिए?
आबादी के इस बड़े हिस्से की बात करें, तो पहली बार वोट देने वाली महिला वोटर्स काफी हद तक अनदेखी, अनसुनी हैं. वे कड़ी मेहनत कर रही हैं, मुश्किल और बड़ी बाधाओं पर काबू पा रही हैं और धीरे-धीरे अपनी जिंदगी को बदल रही हैं. लेकिन वे क्या चाहती हैं? एक अच्छी सैलरी? अपनी पसंद से शादी करने की आजादी? एंपावरमेंट और इंफाॅर्मेशन तक और ज्यादा पहुंच? या खुद के बलबूते कुछ बनने के लिए एक जबरदस्त महत्वाकांक्षा?
ये साधारण सवाल हैं, लेकिन ये ऐसे सवाल हैं जो भारत के चुनावी भविष्य को तय कर सकता है.
क्विंट का ‘मी, द चेंज’ कैंपेन 10 महिला 'अचीवर्स' की कहानियों के जरिए पहली बार वोट डालने वाली महिला मतदाताओं पर फोकस करेगा. ये छोटे शहरों और गांवों की वो महिलाएं हैं, जिन्होंने कुछ असाधारण काम करने के लिए, रास्ते में आने वाली तमाम बाधाओं को अपने संघर्षों से दूर किया है और अब वे अपने समुदायों में इस असर का विस्तार कर रही हैं.
वोट की ताकत के बारे में युवा महिलाओं को शिक्षित करने के लिए क्विंट 'गो वोट' कैंपेन को भी बढ़ावा देगा. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में विधानसभा चुनावों के साथ ये कैंपेन महिला मतदाताओं के साथ कई राज्यों में जमीनी स्तर पर 'चौपाल' की मेजबानी करेगा.
तो अगर आप एक युवा महिला अचीवर को जानते हैं, तो हमें बताएं. वो आपकी दोस्त, बहन या एक सहयोगी भी हो सकती है. पहली बार मतदान करने जा रही ऐसी किसी महिला वोटर को नॉमिनेट करें, जो अपने बलबूते अपनी दुनिया बदल रही हैं. हमें इंतजार रहेगा.
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