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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम/आशुतोष भारद्वाज
जमाने से ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के साथ गलत व्यवहार होता आया है, उन्हें सम्मानजनक स्थान नहीं मिला है. 2014 में अपने एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय को ‘तीसरे लिंग’ के रूप में मान्यता दी, जिससे ट्रांसजेंडरों को आखिरकार उनका अधिकार मिला.
मिलिए ऐसे 10 ट्रांसजेंडर लोगों से जिन्होंने अपने साहस और दृढ़ विश्वास से भेदभाव और नफरत को मात दी और अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी तरह की पहली शख्सियत बनकर उभरीं.
13 की उम्र में परिवार ने अलग कर दिया. इस घटना के बाद पद्मिनी ने खुदकुशी की कोशिश की. परेशानी से भरे बचपन के बावजूद उन्होंने आगे बढ़ने की ठानी और साल 2014 में कोयम्बटूर के लोकल न्यूज चैनल में देश की पहली ट्रांसजेंडर प्राइम टाइम एंकर बनीं.
पृथिका तमिलनाडु की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस ऑफिसर हैं. इन्होंने पुलिस फोर्स के एप्लिकेशन फॉर्म में 'ट्रांसजेंडर' की पहचान पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की.
मनाबी लड़के के रूप में जन्मीं थीं. 2003 में सर्जरी के जरिये जेंडर चेंज कराया.
2005 में वो बंगाली साहित्य में पीएचडी करने वाली भारत की पहली ट्रांसजेंडर बनीं. 10 साल बाद, वो पहली ट्रांसजेंडर कॉलेज प्रिंसिपल बनीं. उन्होंने पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल का पद संभाला.
पहली ट्रांसजेंडर जिन्होंने 2008 में यूएन के एशिया पैसिफिक सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व किया. उनका बचपन सेक्सुअल अब्यूज के कड़वे अनुभव से भरा था.
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सोशल एक्टिविस्ट भी हैं. उन्होंने 2007 में 'अस्तित्व' नाम का ट्रस्ट बनाया, जो ट्रांसजेंडर समुदाय के हितों के लिए काम करता है.
वो किन्नर अखाड़ा की फाउंडर भी हैं. किन्नर अखाड़े ने 2018 के कुंभ मेले में पहले 'शाही स्नान' में हिस्सा लेकर इतिहास रच दिया.
देश के पहले ट्रांसजेंडर म्यूजिकल बैंड की खासियत यश राज फिल्म्स ने भी पहचानी. इस टीम ने 2016 में कांस ग्रैंड प्रिक्स ग्लास लायन अवॉर्ड जीता था.
देश की पहली ट्रांसजेंडर जज हैं. इन्हें अक्टूबर 2017 में नॉर्थ बंगाल की लोक अदालत में नियुक्त किया गया था.
निताशा 2017 में देश की पहली ट्रांसजेंडर ब्यूटी क्वीन बनीं.
जून 2018 में देश की पहली ट्रांसजेंडर वकील बनीं.
जून 2018 में पहली ट्रांसजेंडर ऑपरशन थिएटर टेक्नीशियन बनीं.
इस्थर भारथी देश की पहली ट्रांसजेंडर पास्टर हैं. बचपन में इन्हें 'अपमानित' किया गया लेकिन आज वो दूसरे बच्चों को दुआएं देती हैं, शादियां कराती हैं.
धीरे-धीरे ही सही लेकिन बेड़ियां टूट रही हैं. तो इस ट्रांसजेंडर डे पर हम शपथ लें की सबको बराबरी का हक मिले !
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