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2014 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी गंगा नदी की सफाई के चुनावी वादे के साथ सत्ता में आए थे. एक साल बाद, मोदी सरकार ने 5 साल की गंगा कायाकल्प योजना 'नमामि गंगे मिशन' शुरू की.
सरकार ने 2014-2015 से 2019-2020 तक नदी को साफ करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा था. हालांकि, हालांकि 5 साल बाद आज भी, पर्यावरणविद और गंगा एक्टिविस्ट पूछ रहे हैं, "क्या हुआ तेरा वादा?"
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के उत्तराधिकारी, 26 साल के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद गंगा सफाई के लिए हरिद्वार के मातृ सदन में कई दिनों से उपवास कर रहे हैं.
गंगा को बचाने के लिए प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने 111 दिन की भूख हड़ताल के बाद 11 अक्टूबर, 2018 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में अंतिम सांस ली.
उनकी मृत्यु के बाद, आत्मबोधानंद ने इस लड़ाई को आगे बढ़ाने का फैसला किया.
भाजपा और कांग्रेस को "एक ही सिक्के के दो पहलू" बताते हुए आत्मबोधानंद ने कहा, "जो कोई भी गंगा नदी का नाम लेकर सत्ता में आता है, वो उसे बेचना शुरू कर देता है।"
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