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दिल्ली: चार साल बाद भी सिरसपुर को है मेट्रो स्टेशन का इंतजार

चार साल बाद भी सिरसपुर गांव में नहीं बना है मेट्रो स्टेशन , लोगों को है 2014 से मेट्रो स्टेशन का इंतजार. 

क्विंट हिंदी
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दिल्ली के सिरसपुर में शिलान्यास के चार साल बाद भी नहीं बना मेट्रो
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दिल्ली के सिरसपुर में शिलान्यास के चार साल बाद भी नहीं बना मेट्रो
(फोटो: क्विंट)

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My रिपोर्ट: देवेंद्र प्रताप सिंह

एडिटर: कुणाल मेहरा

साल 2014 में नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के सिरसपुर गांव में सांसद उदित राज ने मेट्रो स्टेशन बनाने का वादा किया था. इसके बाद इसके निर्माण की आधारशिला भी रखी गई और कहा गया कि जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा.

2019 में भी अब तक किसी भी प्रकार के निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ है. यहां के स्थानीय लोगों की शिकायत है कि वो सब वादे चुनावी जुमले थे. यहां रह रहे कृष्णा राणा ने कहा कि ये सब राजनीतिक हथकंडे थे हमारे वोट बटोरने के और कुछ नहीं. इसकी वजह से हमारी रोजी-रोटी भी आफत में आ गयी है.

आज भी इस गांव में है ट्रांसपोर्ट की समस्या

इस गांव में रहने वाले लोगों को बाहर निकलने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. डीटीसी बसों का रूट नहीं होने के कारण यहां के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

इस लोकसभा चुनाव में, यह लोगों के लिए मुख्य मुद्दों में से एक है. इसके कारण हमारे शहर का विकास नहीं हो रहा है. अगर मेट्रो स्टेशन बन जाता, तो हमारा शहर भी समृद्ध होता.
अमित राणा

2014 के बाद से अबतक किसी ने भी मेट्रो की कोई सुध नहीं ली. न ही उसके बाद फिर से कभी सांसद ने वापस आकर देखने की कोशिश की कि उनके किये हुए वादे का क्या हुआ. इस बात को लेकर गांववालों ने अधिकारियों से शिकायत भी की मगर उसका भी कोई नतीजा नहीं निकला.

यहां का मुख्य मुद्दा ट्रांसपोर्टेशन का है. अगर हमें कहीं जाना है, तो हमें समयपुर बादली मेट्रो स्टेशन तक जाने की जरूरत होती है. बेहतर होता कि यहां मेट्रो स्टेशन बन जाता. जमीन की कोई कमी नहीं है, इसके लिए हमने काफी जमीन पहले ही दे रखी है. उन्होंने अब, सिर्फ एक सर्विस स्टेशन बनाया है. अभी भी काफी जमीन उपलब्ध है.
हर्ष, स्थानीय निवासी

इस गांव के सबसे नजदीक का मेट्रो स्टेशन समयपुर बादली है मगर वहां तक पहुंचने के लिए भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. सड़कों की हालत भी बेहद गंभीर है.

तो क्या ये इस लोकसभा चुनाव में यहां का प्रमुख मुद्दा बनेगा? क्या उम्मीदें हैं इस इलाके में रह रहे लोगों की? क्या उन्हें फिर से किसी चुनावी जुमले का शिकार होना पड़ेगा?

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