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इधर केंद्रीय कैबिनेट ने NPR को मंजूरी दी और उधर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जैसे CAA को लेकर भ्रम फैलाया गया, वैसा भ्रम NPR को लेकर न फैलाएं...उन्होंने ये भी कहा कि NPR और NRC में कोई संबंध नहीं है...तो आखिर है क्या NPR जिसे लेकर गृहमंत्री भ्रम न फैलाने की बात कह रहे हैं और वो क्यों कह रहे हैं कि इसका NRC से कोई संबंध नहीं है.
वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद
NPR यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर देश के सामान्य निवासियों यानी USUAL ResidentS का एक रजिस्टर है. ये नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव / उप-नगर), उप-जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है. अब ये USUAL रेजिडेंट्स क्या हैं वो समझ लेते हैं मतलब कौन से लोग इसके दायरे में आएंगे. ऐसे नागरिक जो किसी खास एरिया में 6 महीने या ज्यादा दिनों से रह रहे हों या वो लोग जो किसी खास एरिया में 6 या 6 से ज्यादा महीने रहने वाले हों.
इससे असम को बाहर रखा गया है, क्योंकि नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) को पहले ही राज्य में लागू किया जा चुका है. 24 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने एनपीआर को पूरा करने के लिए 8,500 करोड़ रुपये का बजट पास किया.
अब वहीं NRC का सीधा मतलब आपकी नागरिकता से है. इस रजिस्टर में नाम नहीं आया तो मतलब नागरिकता गई. गृह मंत्री अमित शाह ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि ये हो सकता है कि NPR में कुछ नाम छूट जाएं, फिर भी उनकी नागरिकता रद्द नहीं की जाएगी क्योंकि यह NRC की प्रक्रिया नहीं है. NRC एक अलग प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि वो ये साफ करना चाहता हैं कि एनपीआर की वजह से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. लेकिन अमित शाह की इतनी समझाने के बाद भी NPR को कुछ लोग NRC का पहला चरण क्यों बता रहे हैं.
देश में NRC लागू होने जा रहा है या नहीं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला ग्राउंड की रैली में कहा कि इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं हुई. लोगों ने सवाल उठाया कि खुद अमित शाह संसद के अंदर कह चुके हैं कि NRC पूरे देश में लागू होगा...इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि - मोदी सही कह रहे हैं, किसी कैबिनेट की बैठक में इसकी चर्चा नहीं हुई. लेकिन ये शब्दों का जादू लग रहा है क्योंकि अगले ही सवाल के जवाब में अमित शाह ने माना कि बीजेपी के मेनिफेस्टो में NRC है और उसे लागू करेंगे और ज ब करेंगे तो छिपकर नहीं सबके सामने करेंगे...
पीएम मोदी ने एक और बयान दिया था. कहा था - देश में कहीं कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है. शाह ने उसपर भी सफाई दी. उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर और NRC का कोई संबंध नहीं है, उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर हर देश में होते हैं. अगर कोई अमेरिका से अवैध तरीके से भारत आता है या ठहर जाता है तो उसे यहीं रखा जाता है. देश में सिर्फ एक डिटेंशन सेंटर है, लेकिन ये चालू नहीं है. अमित शाह ने साफ किया कि ये डिटेंशन सेंटर अवैध प्रवासियों के लिए है न कि अवैध करार दिए गए शर्णार्थियों के लिए.
अमित शाह ने इस इंटरव्यू में ये भी कहा कि बंगाल और नॉर्थ ईस्ट में CAA प्रोटेस्ट राजनीतिक रूप से प्रायोजित है, लेकिन देश भर से आने वाली खबरों और तस्वीरों को देखकर ऐसा नहीं लगता. वैसे भी अगर विपक्ष में इतनी ताकत होती कि वो देशव्यापी आंदोलन खड़ा कर सके तो सरकार मंदी पर ही बुरी तरह घेर सकता था.
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