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विराट-अनुष्का की शादी में बनारस के मुअज्जम भी बहुत पॉपुलर हो गए हैं. इनके बारे में जान लीजिए अनुष्का शर्मा के लाखों दीवानों में से एक हैं मुअज्जम. आप कहेंगे इसमें नया क्या है? ठीक है चलिए एक और खासियत अनुष्का और विराट की शादी से जुड़ी हर खबर को देखने के लिए मुअज्जम टीवी पर टकटकी लगाए बैठे थे. आप फिर कहेंगे इसमें भी कुछ नया नहीं है दूसरे लाखों करोड़ों लोगों का भी यही हाल था. चलिए तो फिर समझ लीजिए कि अनुष्का की साड़ी से इनका करीबी रिश्ता है.
दिल्ली में हुए शादी के रिसेप्शन में अनुष्का की जिस लाल खूबसूरत साड़ी पर सबकी निगाहें टिकीं थीं, वही साड़ी मुअज्जम की कारीगरी की कहानी कह रही थी. उनका चेहरा खुशी और गुरूर से चमक उठा क्योंकि उनकी 2 महीने की रातदिन मेहनत को दुनिया की वाहवाही मिल रही थी.
अनुष्का की लाल साड़ी वाली फोटो जैसे ही सामने आईं, मुअज्जम ने बिना देर किए वो तमाम फोटो फेसबुक पर डाल दी और बताया कि इस साड़ी को तैयार करने वाले कारीगर वही हैं. फिर क्या था बनारस के इस कारीगर को पूरा देश जानने लगा. कुछ ही मिनट में सामान्य मुअज्जम अब अनुष्का की साड़ी वाले मुअज्जम बन गए.
वैसे तो बनारस की कारीगरी और खासतौर पर साड़ियों की पूरी दुनिया में पहचान है. लेकिन अनुष्का ने रिसेप्शन में बनारसी साड़ी पहनकर एक बार फिर इसे सुर्खियों में ला दिया है. लेकिन ये जानना बहुत जरूरी है कि ये बनारसी साड़ी कैसे तैयार हुई?
अनुष्का की साड़ी भी रातोंरात तैयार नहीं हुई. इसके लिए लंबी प्लानिंग थी. सबसे पहले डिजाइनरों ने तय किया कि वो शादी में बनारसी साड़ी पहनेंगी. लेकिन अब सबसे मुश्किल काम था बनारस के ढेरों कारीगरों के बीच सबसे उम्दा कारीगरों को सेलेक्ट करना.
बनारस में पीलीकोठी के मक़बूल हसन 1966 से इस बिजनेस में हैं. उनका परिवार दो सौ सालों से साड़ी का काम कर रहा है. मक़बूल हसन के यहां ही ऐश्वर्या राय की साड़ी और अभिषेक की शेरवानी बनी थी. मक़बूल खुद बहुत उम्दा कारीगर हैं. उनके साथ ही काम करते हैं मुअज्जम अंसारी.
मुअज्जम को साड़ी के धंधे में आए सिर्फ पांच साल हुए. लेकिन इतने कम वक्त में ही उनका हाथ इतना सध गया है कि वो पूरे बनारस में मशहूर हो गए हैं. उनका काम बीस साल के पुराने कारीगरों को भी टक्कर देता है. मकबूल हसन को जब अनुष्का की साड़ी का ऑर्डर मिला तो उन्होंने मुअज्जम समेत तीन सबसे उम्दा कारीगरों की टीम बनाई. ये सबकुछ इतने सीक्रेट तरीके से हुआ कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी.मकबूल हसन को दिल्ली के कॉटेज इम्पोरियम के जरिए इस साड़ी का ऑर्डर मिला था.
इस साड़ी में सिल्क और शिफॉन का इस्तेमाल किया गया. इस कपड़े की खास बात ये है कि ये बहुत हल्के और नरम होते हैं, इसलिए साढ़ी बुनाई कढ़ाई के बाद भी बहुत हल्की होती है. इसका लुक बहुत चमकदार नहीं होता.
इस साड़ी में असली सोने की जरी का इस्तेमाल किया गया है. इसमें एक एक बूटी को अलग अलग बनाया गया है. इसकी खास बात ये है कि इसे तीन लोग मिलकर ही बना पाते हैं. इसलिए जिस दिन एक भी कारीगर नहीं आया तो उस दिन बुनाई नहीं होती. मतलब साड़ी की गोल्ड जरी और बूटी के लिये तीनों कारीगरों जरूरी हैं.
सालों साल से बनारसी साड़ी शादी ब्याह में लोगों की पहली पसंद यूं ही नहीं है.
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