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इन लड़कियों की सुनिए, जिन मुद्दों पर है हल्ला, सब भूल जाएंगे

दरभंगा चुनावी चौपाल: महिला सुरक्षा को लेकर बिहार की बेटियां चिंतित

शादाब मोइज़ी
न्यूज वीडियो
Published:
दरभंगा चुनावी चौपाल: महिला सुरक्षा को लेकर बिहार की बेटियां चिंतित
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दरभंगा चुनावी चौपाल: महिला सुरक्षा को लेकर बिहार की बेटियां चिंतित
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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कैमरा: फ़वाद ग़ज़ाली

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) से पहले क्विंट हिंदी बिहार के दरभंगा (Darbhanga) के मिथिला यूनिवर्सिटी पहुंचा, यहां हमने लड़कियों से बात कर उनके मुद्दे और उनकी परेशानियां जानने की कोशिश की.

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पढ़ाई को लेकर हर जगह माना जाता है कि बिहार में लड़कियों के लिए ज्यादा अवसर नहीं हैं, एक छवि बनती हैं कि बिहार की लड़कियां ज्यादा अलग पढ़ाई नहीं पढ़ पा रही हैं. डिजिटल मीडिया कम्युनिकेशन की छात्र श्रीति बताती हैं कि, ‘बिहार में ज्यादा ऑप्शन नहीं हैं, और जो मौजूद हैं उनमें भी गेस पेपर मिलता है, जो परीक्षा के दो महीने पहले ही मिलता है तो सभी उसी से पढ़ाई करते हैं क्योंकि ज्यादातर क्वेश्चन उसी गेस पेपर में से आते हैं और ये बात यूनिवर्सिटी को भी पता है.’

हाथरस में हुए रेप केस पर लॉ की छात्र अंकिता कहती हैं कि ये सिर्फ देश के कुछ क्षेत्रों की बात नहीं है बल्कि पूरे देश की बात है. बिहार की रहने वाली अंकिता आगे बताती हैं कि, 'बिहार में भी अगर सुरक्षा की बात की जाए, खासकर महिला सुरक्षा की तो वो बिलकुल नहीं है.'

मैं मिथिला की हर बेटी की तरफ से कह सकती हूं कि आज किसी भी बेटी के पास ये हक नहीं है कि वो अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी पाए. हर लड़की की एक ही कहानी है कि उन्हें एक समय पर शाम से पहले घर पहुंचना ही है. दरभंगा में ही ऐसी कोई एक जगह नहीं है जिसे हम कह सकते हैं कि वो सुरक्षित है.
अंकिता, लॉ की छात्र

यूनिवर्सिटी छात्रों से बात कर पता लगता है हर किसी में अपनी सुरक्षा को लेकर डर है फिर चाहे वो परिवार की बात हो या किसी अकेली लड़की की.

'उद्यमी बिहार' की बात करें तो जिस बिहार के बारे में सभी का सोचना है कि ये एक पिछड़ा राज्य है, उस बिहार के दरभंगा में कुछ लड़कियां अपना ऑनलाइन बुक स्टोर चला रही हैं. ये महिला सशक्तिकरण की ओर एक कदम है.

एक तरफ महिला सशक्तिकरण की बात और दूसरी तरफ महिलाओं का राजनीति में कम होना... इस सवाल पर B.Sc की छात्र ईशा कमल बताती हैं कि, 'राजनीति में महिलाएं बहुत कम हैं उन्हें और बढ़ावा देना चाहिए, संसद में 50% से भी कम महिलाएं हैं.'

हम सुरक्षा की बात करते हैं लेकिन संसद में महिलाएं ही कम हैं तो ये चीज समझ कैसे आएगी कि ये एक गंभीर मुद्दा है. इसे महिलाएं ज्यादा अच्छे से समझ सकती हैं और समझा सकती हैं, जब महिलाएं संसद में ज्यादा होंगी तो सुरक्षा पर ज्यादा बात होगी और उसे जल्द अमल में भी लाया जा सकेगा.
ईशा कमल, छात्र, B.Sc 

स्ट्रीट फोटोग्राफी करने वालीं कौशिकी ने हमसे बात करते हुए बताया कि सरकार आती जाती रही हैं लेकिन महिलाओं के साथ छेड़खानी और बढ़ गई है पिछले कुछ सालों के मुकाबले. कौशिकी का कहना है कि-

इसकी वजह सिर्फ एक ही नहीं है, इसमें कई चीजें हैं जिसपर काम करने की जरूरत है. उदहारण के तौर पर शिक्षा, लोग ज्यादा शिक्षित नहीं हैं, उन्हें पता ही नहीं है कि क्या सही है और क्या गलत. मैं घर से स्ट्रीट फोटोग्राफी के लिए निकलती हूं तो लोग कुछ न कुछ बोलते हैं. हर चीज नजरअंदाज करना भी मुश्किल है.
कौशिकी, छात्र, फोटोग्राफर

बिहार के दरभंगा की युवा लड़कियों से जब हमने पूछा कि उन्हें कैसा नेता चाहिए तो इसपर उनका कहना है कि उन्हें ऐसा नेता चाहिए तो अपनी जिम्मेदारी निभा सके और जिम्मेदारी के साथ हमारे यानी जनता के सवालों के जवाब दे सके. श्रीति बताती हैं कि अभी कुछ ऐसे हालात हैं कि अगर कोई सवाल पूछता है तो उसपर एक टैग लगाया जाता है कि ये 'देशद्रोही' है. ये नहीं होना चाहिए. और राज्य की मूल जरूरतों को समझे और उस पर काम करे, बिहार को ऐसा नेता मिलना चाहिए और बिहार के लोगों को ऐसा नेता चुनना चाहिए.

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