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बिहार की महिलाओं का दर्द: घास काटने के लिए 20KM जाने की मजबूरी

बिहार चुनाव 2020: बाढ़ की मार सबसे ज्यादा महिलाओं पर, नहीं आया कोई नेता

शादाब मोइज़ी
न्यूज वीडियो
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(फोटो: क्विंट हिंदी/कनिष्क दांगी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी/कनिष्क दांगी)

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

'बाढ़ का पानी आ गया अब आदमी क्या खाकर जिएगा' ये कहना है बिहार के मुजफ्फरपुर के खेतों में घास काटने वालीं मीना देवी का

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बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है. द क्विंट ने मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) की खेतों में काम कर रही कुछ महिलाओं से मुलाकात कर उनकी परेशानियों के बारे में जानने की कोशिश की और साथ ही इस चुनाव में उनके मुद्दे के बारे में बात की.

बिहार के मुजफ्फरपुर के खेतों में मवेशियों के खाने के लिए ये महिलाएं 20-20 किलोमीटर दूर से आई हैं. इन महिलाओं का कहना है कि मवेशियों को पालने में उन्हें अब काफी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है, बाजार में चारे की कीमत 12 रुपये किलो के करीब है जो इन महिलाओं के काफी महंगा साबित हो रहा है.

हम लोग सुबह आए थे घास काटने के लिए, बाजार में जो भूसा-चारा मिल रहा है वो काफी महंगा है, हम दोपहर से इंतजार कर रहे हैं कि किस तरह से घर जाएं, कोई गाड़ी रुकती है तो कोई नहीं, हमारे पास घर जाने के भी पैसे नहीं है
मजदूर

इन महिलाओं का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से देशभर में लॉकडाउन की वजह से इन महिलाओं को और इनके परिवार के पास अब काम नहीं है. हालत इतनी खराब है कि सूखी रोटी खाने को मजबूर हैं

द क्विंट से बात करते हुए जलसी देवी बताती हैं कि-

मेरे 4 बेटे हैं और चारों ही घर में बैठे हैं , किसी के पास काम नहीं है जो बच्चे बाहर जाकर काम कर रहे थे वो भी अब घर लौट आए हैं लॉकडाउन की वजह से’

जलसी देवी के साथ ही घास काटने आई मंजू देवी बताती हैं

घर में किसी के पास काम नहीं हैं, बहुत परेशानी है, खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. जैसे तैसे खाने का बंदोबस्त होता है.

महिलाओं का कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से मदद जरूर मिली लेकिन फिर भी परेशानी कम नहीं हो रही है.

मीना देवी कहती है कि उन्हें सरकार की तरफ से एक बार 500 रुपये मिले थे, फिर कुछ कोटा मिला और 6 हजार रूपये मिले हैं, मीना देवी के साथ काम करनी आई महिला बताती हैं कि उन्हें सरकार की तरफ से पैसे की मदद मिली है. मंजू देवी कहती हैं कि उनके 6 बच्चे हैं मदद सरकार की तरफ से जरूर मिली लेकिन परेशानी खत्म नहीं हो रही है, क्योंकि अब किसी के पास नौकरी या काम नहीं है.

हर सार बारिश के मौसम में बिहार बाढ़ की मार झेलता है, और इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर हुआ है, महिलाओं की शिकायत है कि कोई नेता उनके गांव की सुध लेने नहीं आया.

मीना देवी कहती हैं- 'कोई भी नेता नहीं आया', तो मीना देवी बताती हैं कि-

इतनी बाढ़ आई लेकिन कोई नेता झाकने नहीं आया कि हमें क्या दिक्कतें हुई, न खाने का ठिकाना था न रहने का

काफी परेशानियां झेलने के बाद इस बार बिहार चुनाव् को लेकर महिलाओं का कहना है कि वो उसी नेता को वोट देंगी जो उनके लिए काम करेगा और उनकी परेशानी कम करेगा.

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