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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
CAB को लेकर बड़ी टेंशन हो गई है. ये CAB है सिजिटन अमेंडमेंट बिल. इस CAB पर बड़ा सियासी शोर है लेकिन विरोध और भी घनघोर है. कांग्रेस, TMC, SP, BSP, TRS, NCP जैसी पार्टियां तो इस अमेंडमेंट बिल का विरोध कर ही रही हैं, विरोध और जगह भी हो रहा है. देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. जंतर मंतर पर हल्लाबोल. गुवाहाटी में बवाल. डिब्रूगढ़ में आगजनी. गोलाघाट में सड़क जाम. अलीगढ़ यूनिवर्सिटी-जेएनयू में विरोध. मणिपुर-अरुणाचल में बंद. सिलीगुड़ी में रैली. त्रिपुरा के बाजार में आग. JDU दफ्तर पर भी तोड़फोड़ हुई है. लेकिन इन तमाम जगहों पर विरोध अलग कारणों से हो रहा है.
राज्य में इस बिल के विरोध की सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है असम समझौते का उल्लंघन... इस समझौते के मुताबिक,राज्य में उन्हीं प्रवासियों को नागरिकता दिए जाने की बात थी जो 24 मार्च 1971 के पहले असम में आए हैं. अब, नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत ये कट-ऑफ डेट 31 दिसंबर 2014 का कर दिया जाएगा. ऐसे में उन लोगों को भी नागरिकता मिलने का रास्ता साफ होगा जो इस तारीख से पहले असम में आए होंगे. यहां ध्यान देना होगा कि बिल में ऐसा सिर्फ हिंदू-पारसी-जैन-ईसाई-सिख-पारसी शरणार्थियों के लिए ही किया गया है मुस्लिमों के लिए नहीं.
असम में प्रदर्शन कर रहे लोगों की एक और बड़ी आशंका है. वो है NRC और CAB के घालमेल को लेकर.
असम के अलावा अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा में भी प्रदर्शन हो रहे हैं.
त्रिपुरा में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच झड़प की खबरें आ रही हैं. ऐहतियातन राज्य सरकार ने मोबाइल, इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को 48 घंटे के लिए बंद कर दिया है. पूर्वोत्तर के इन सभी राज्यों की कमोबेश एक ही आशंका है कि इस बिल के बाद राज्य में बाहर से आए लोगों मतलब शरणार्थियों की संख्या और दबदबा बढ़ने लगेगा.रोजगार के अवसर छिनेंगे..जल-जंगल और जमीन पर स्थानीय लोगों की पकड़ ढीली होगी साथ ही भाषा, संस्कृति में भी बदलाव आएंगे
अब चलिए दक्षिण में आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इस बिल का विरोध तमिलनाडु में भी हो रहा है. लेकिन ये विरोध नहीं है, एक शिकायत है.
श्रीलंका से आए तमिल हिंदू पूछ रहे हैं कि आखिर उन्हें क्यों छोड़ दिया गया. इस बिल में शामिल क्यों नहीं किया गया. क्यों सिर्फ बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं को पनाह दी जा रही है. डीएमके नेता दयानिधि मारन का कहना है कि क्या अमित शाह सिर्फ उत्तर भारत के गृह मंत्री हैं, अगर नहीं तो वो तमिलनाडु के बारे में परेशान क्यों नहीं है. मारन ने पूछा कि श्रीलंकाई तमिलों के साथ सरकार क्या करने जा रही है.
शिरोमणी अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि इस बिल में हम पाकिस्तान के अहमदिया मुसलमानों को राहत क्यों नहीं दी जा रही है. क्यों वहां इनपर भी जुल्म हुए हैं. बादल पाकिस्तान से भाग कर आए ऐसे अहमदिया मुसलमानों की बात कर रहे हैं जो पंजाब में पनाह लिए हुए हैं. उनका सवाल है कि इस बारे में सरकार ने क्यों नहीं सोचा.
बिल लोकसभा में भले ही पास हो गया लेकिन बीजेपी की विरोधी सियासी पार्टियां मोर्चा खोले हुए हैं. वो देश के संविधान और परंपरा की दुहाई दे रही हैं और शायद वोटबैंक का बैलेंस बिगड़ने का डर भी है.
हर्ष मंदर जैसे सामाजिक कार्यकर्ता भी विरोध में हैं. हर्ष मंदर ने कह दिया है कि अगर ये बिल पास हुआ मुस्लिम बन जाऊंगा. एक और पूर्व आईएएस अफसर एस शशिकांत सेंथिल ने कहा कि मैं एनआरसी को मंजूर करने से इनकार करता हूं. इसलिए मैंने अपनी नागरिकता को साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज जमा न करने का फैसला किया है. अपनी सविनय अवज्ञा के खिलाफ कोई भी सजा भुगतने के लिए मैं तैयार हूं. इसी सिलसिले में शबाना आजमी ने जावेद अख्तर का शेर सुनाया- खून से सींची है मैंने जो मर-मर के वो जमीन एक सितमगर ने कहा वो जमीन उसकी है..
एक विरोध का सोशल मीडिया पर भी चल रहा है. बिल के विरोध में राहत इंदौरी का फेंके गए एक शेर की एक लाइन लपक ली गई...ट्रेंड चला ''किसी के बाप का भारत थोड़ी है''. जवाब में दूसरा ट्रेंड कूदा. भारत मेरे बाप का है.
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