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क्या आप भी अपने फल किसी स्टोर या ऐप से खरीदते हैं, तो आपने जरूर सोचा होगा कि इतना चमकदार दिखने वाला फल कभी-कभी इतना कम स्वाद वाला कैसे हो सकता है. बचपन में आसानी से कम कीमत में मिल जाने वाला ये सेब (Apple) 300 रुपये किलो कैसे हो गया?
इसका कारण पता लगाने के लिए क्विंट ने सुपरमार्केट से हिमाचल की घाटियों और बागों तक... सेब के सफर का पता लगाने का फैसला किया.
सेब के शानदार से दिखने वाले बागों के पीछे क्या छिपा है? हमारे सेब, चेरी, आड़ू और आलूबुखारे में क्या बदलाव आया है? पिछले कुछ दशकों में पहाड़ों को अपना घर कहने वालों का जीवन कैसे बदला है? समय के साथ बर्फबारी, बारिश, ओलावृष्टि और तापमान के पैटर्न में कैसे बदलाव आया है और इसने उनके खेतों और उनके जीवन और इसलिए हमारे जीवन को कैसे प्रभावित किया है. क्या जलवायु परिवर्तन ने हमारे खाने के तरीके को बदल दिया है?
क्विंट उन किसानों से मिला जो इसे उगाते हैं, उनसे भी मिला जो इसे छांटते हैं और जो थोक व्यापारी इसे हमारे बाजारों में लाते हैं.
आप इन सवालों के जवाब उन लोगों से सुनेंगे जो सामने दिख रहे जलवायु संकट के बीच जीवन जी रहे हैं.
आप जिस सेब को खा रहे हैं उसके सामने दिखने वाले खतरे को समझने के लिए हमारी डॉक्यूमेंट्री को सपोर्ट कीजिए.
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