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जर्मन लेखक कर्ट टुखोलस्की (Kurt Tucholsky) ने कहा है- ‘Language is a weapon, keep it honed’ यानी ‘भाषा एक हथियार है इसे धारदार बनाए रखिए’. लेकिन भाषा के हथियार की ये धार अगर मर्यादा की सरहद के पार हो जाए तो शर्मसार भी कर सकती है.
कथा जोर गरम है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से जुड़ा एक विवादत बयान राज्य के चुनाव प्रचार में एक ‘बम’ की तरह फूटा है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस भाषा का इस्तेमाल 72 साल की एक महिला के खिलाफ कर रहे हैं, जो देश की मुख्य विपक्षी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं और सांसद हैं. एक महिला सांसद की गरिमा का ना सही, खट्टर को उस पद की गरिमा का ही ख्याल रखना चाहिए था, जिस पद पर वह विराजमान हैं.
एक राज्य के मुख्यमंत्री की भाषा, कम से कम उनकी खुद की पार्टी के हजारों लाखों कार्यकर्ताओं के लिए नजीर होते हैं. ऐसे में सीएम खट्टर उनके सामने कौन सी मिसाल पेश करना चाहते हैं?
मुख्यमंत्री खट्टर के इस बयान के खिलाफ कांग्रेस पार्टी सड़कों पर आ गई. दिल्ली में महिला कांग्रेस की सदस्यों ने खट्टर का पुतला जलाया.
पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा-
ऐसा पहली बार नहीं है जब सीएम खट्टर ने अपनी जबान की ये ‘नफासत’ दिखाई हो. इससे पहले भी वे कश्मीरी लड़कियों से शादी को लेकर, रेप और छेड़छाड़ की घटनाओं को लड़की की ही गलती बताकर, लड़कियों के पहनावे को लेकर और अभिव्यक्ति की आजादी को नंगेपन से जोड़कर सुर्खियों में रह चुके हैं.
सीएम खट्टर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को लेकर अपनी पीठ ठोकते हैं लेकिन महिलाओं को पर उनके बयान कुछ और ही कहानी बता रहे हैं.
माना कि ये कहावत है लेकिन शब्द भावनाओं का चेहरा होते हैं. इस मुहावरे का ज्यादातर इस्तेमाल- ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ तक होता है. ‘वह भी मरी हुई’ शब्दों को जोड़कर खट्टर साहब ने साफतौर पर अपनी सोच का प्रदर्शन किया है.
वैसे ये भी कितनी हल्की दलील है कि मुख्यमंत्री ने कहावत का इस्तेमाल किया है, सोनिया गांधी को निजी तौर पर कुछ नहीं कहा. किसी भी बात का गलत या सही होना इससे तय होता है कि वो किस मौके और हालात में कही गई.
मौत सबकी निश्चत है अब ये बात कितनी भी सही हो लेकिन मैं ये किसी की जन्मदिन पार्टी में तो उसे नहीं कह सकता ना.
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