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दिल्ली (Delhi) छावनी के पास ओल्ड नांगल गांव की ओर जाने वाली सड़कों को मंगलवार, 3 अगस्त को दोनों ओर से बंद कर दिया गया था. गांव की सैकड़ों महिलाएं और पुरुष एक श्मशान के बाहर अस्थायी तंबू के नीचे इकट्ठा हुए थे, जहां एक दिन पहले वाल्मीकि समुदाय की एक नौ वर्षीय नाबलिग लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार, हत्या और जबरन अंतिम संस्कार किया गया था.
गुड़िया की मां, सदमे में थीं, उन्होंने द क्विंट को बताया, "मुझे बस अपनी बच्ची वापस चाहिए. मैं उसे वापस पाने के लिए कुछ भी दे दूंगी. बस मुझे मेरी बेटी वापस दे दो."
आरोपियों की पहचान श्मशान घाट के पुजारी राधेश्याम, कुलदीप कुमार (63), लक्ष्मी नारायण (48) और मोहम्मद सलीम (49) के रूप में हुई है, जिनके बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि वो सभी लड़की से परिचित थे.
इससे पहले कि माता-पिता कुछ समझ पाते, गुड़िया के पड़ोसियों का कहना है कि, उसके शरीर का 'आधा दाह संस्कार' कर दिया गया था.
गुड़िया की मौसी के रूप में अपनी पहचान बताने वालीं सुनीता ने आरोप लगाया, ''उसके होंठ नीले थे और उसके यहां-वहां जलने के निशान थे. जैसे ही पड़ोसी और हम लोग पहुंचे तो हमने देखा कि उसे जलाया जा रहा था."
ओल्ड नांगल गांव के रहने वाले किशोर बेनीवाल ने बताया कि गुड़िया के माता-पिता कचरा बीनने वाले हैं और श्मशान के पास रहते हैं. उन्होंने उस जगह को साफ करने में भी मदद की - इस तरह गुड़िया पुजारी से परिचित हो गई.
इसके बाद ग्रामीणों ने आग बुझाई. हालांकि, वे उसके पैरों के कुछ हिस्सों, सिर के कुछ हिस्सों और उसके कूल्हे के एक हिस्से को ही बचा सके.
डीसीपी (साउथवेस्ट) इंगित प्रताप सिंह ने कहा कि लड़की की मां के बयान के मुताबिक, आईपीसी की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत), 201(सबूत नष्ट करना), 342 (गलत संयम) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. साथ ही दिल्ली छावनी पुलिस स्टेशन में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO), एससी / एसटी अधिनियम, आईपीसी की धारा 302 (हत्या के लिए सजा), 376 (बलात्कार के लिए सजा), और 506 की धाराओं के तहत भी केस दर्ज किया गया है.
हालांकि, परिवार का दावा है कि उन्होंने एफआईआर नहीं देखी है और इसलिए वो ये नहीं मान सकते की असल में बताई गयी धाराओं के तहत आरोप दयार किये गए हैं या नहीं.
एडवोकेट सीमा कुशवाहा, जो 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले का नेतृत्व करने वाली वकील थीं, उन्होंने कहा कि, वो गुड़िया का केस लड़ना चाहेंगी - लेकिन आगे बढ़ने के लिए एफआईआर की एक कॉपी चाहिए होगी.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस माता-पिता को थाने ले गई, रात भर रखा और पूछताछ की.
फोरेंसिक टीम और क्राइम टीम ने भी मौके से सबूत जुटाए हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि अगले कुछ दिनों में रिपोर्ट आने की उम्मीद है.
दिल्ली गांव के निवासियों ने महिलाओं की सुरक्षा को 'अनदेखा' करने के लिए केंद्र सरकार की भी आलोचना की.
उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर 'फैंसी नारे देने के अलावा कुछ नहीं' कर रही है.
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