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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम
गुजरात के मेहसाणा में दलितों ने एकजुट होकर भेदभाव के खिलाफ एक लड़ाई छेड़ी और उसकी कामयाबी के अब चर्चे हैं. गांव में बहिष्कार के फैसले के बाद लोगों ने सवर्णों का स्टिंग ऑपरेशन कर दिया. और पुलिस सुरक्षा के बीच घोड़ी पर बरात निकालने में कामयाब रहे.
दरअसल मेहसाणा के लोर गांव में 7 मई को दलित दूल्हे ने घोड़ी पर बरात निकाली तो गांव के सवर्णों ने दलितों का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला किया. दलितों ने इसकी शिकायत थाने में की. उसके आधार पर पुलिस ने इस मामले में गांव के सरपंच समेत 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
धूमधाम से 16 मई को एक और दलित की बरात निकली. हालांकि, सुरक्षा के लिए पुलिसबल तैनात किए गए थे.
लोर गांव में लगभग 40-50 दलित परिवार हैं, जबकि सवर्ण ठाकोर और राबारियों के 200 से अधिक घर हैं. गांव के सरपंच ने ही मंदिर से दलितों का बहिष्कार करने का ऐलान किया था. एनजीओ नवसृजन ट्रस्ट से जुड़ीं शांताबेन सेनमा उस दिन गांव में ही मौजूद थीं. वो बताती हैं,
गांव के लोगों को इकट्टा कर कहा गया, “गांव में जो भी दलितों को दूध, साग-सब्जी देगा, उसके लिए 5,000 रुपये का दंड होगा और उसे गांव से बाहर निकाला जाएगा. फेरी वालों, रिक्शावालों को भी कहा गया कि अगर रिक्शा पर बिठाया तो 5,000 रुपये का दंड होगा और गांव से बाहर निकाला जाएगा.”
इस वाकये के बाद शांताबेन ने गांव के दलितों को इकट्ठा किया और थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए सबूत इकट्ठा करने की बात कही.
इस गांव के दलितों का कहना है कि उन्होंने सालों से जानवरों के शवों को उठाने जैसे काम करना बंद कर दिया है, जो अमूमन पीढ़ियों से दलित करते आ रहे थे.
लोर गांव के दलितों ने ठान लिया है कि वो समाज में बराबरी का हक पाकर रहेंगे.
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