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कोरोना वैक्सीन में देरी की इकनॉमी और GDP चुका रही बड़ी कीमत 

उदय कोटक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और नंदन निलेकणी के कथनों से समझिए की इकनॉमी की वास्तविक स्थिति क्या है.

संजय पुगलिया
न्यूज वीडियो
Published:
Indian GDP| एक्स्पर्ट्स के कथनों से समझिए, इकनॉमी की वास्तविक स्थिति
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Indian GDP| एक्स्पर्ट्स के कथनों से समझिए, इकनॉमी की वास्तविक स्थिति

(फोटो: कामरान अख्तर/क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

कोविड संकट (Coronavirus Crisis) के इस दौर में लोग जान की ही बात कर रहे हैं, आर्थिक हालात का खयाल नहीं है. लेकिन देखा जाए तो दोनों ही जुड़े हुए हैं. विशेषज्ञों से बात करने पर यही निकलकर सामने आ रहा है कि इस सुनामी से हमें सिर्फ वैक्सीन ही बचा सकता है. उदय कोटक (Uday Kotak), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI). और नंदन निलेकणी (Nandan Nilekani) के कथनों से समझिए की वास्तविक स्थिति क्या है

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CII के प्रेसिडेंट उदय कोटक के मुताबिक वर्तमान हालात में इकनॉमी को बचाने के लिए नोट छापने की जरूरत है. उनके मुताबिक अगर अब नहीं छापा गया तो कब छापा जाएगा. गरीबों और छोटे काम धंधे वालों को मदद करना होगा. तकलीफ वाले सेक्टरों को बैंकों को पिछले साल की तरह मदद करना चाहिए और वैक्सीन नीति को सरल बनाने की जरूरत है.

(ग्रैफिक्स: क्विंट हिंदी)

देश में वैक्सीन पर इतिहास का सबसे बड़ा राज’अधर्म’ हुआ है. कहा गया कि युवा उद्यमी आत्मनिर्भर भारत के तहत वैक्सीन बनाएंगे. लेकिन युवा उद्यमी कब वैक्सीन बनाएंगे, इसका आजतक पता नहीं चल पाया है.

केंद्र सरकार ने ख़ुद के लिए 50% वैक्सीन रखने को कहा. लेकिन बचे हुए 50% में कितना राज्य का है और कितना निजी क्षेत्र का, इसको लेकर कुछ साफ नहीं हुआ. जिसका नतीजा ये हो रहा कि राज्य के वैक्सीन सेंटर बंद हो रहे हैं और निजी क्षेत्र टीका दे रहे हैं. कोरोना वैक्सीन को लेकर अमीरों और गरीबों की अलग दुनिया नजर आती है. यहां वैक्सीन कंपनियों की भी अपनी समस्याएं हैं.

अप्रूवल को लेकर अनाउंसमेंट आ गया था लेकिन अभी तक अप्रूवल मिला नहीं है.
फाइजर

वैक्सीन को लेकर नीति में भी काफी उलझन वाली व्यवस्था है. 45 की उम्र से नीचे वाले लोगों को केंद्र स्लॉट देगा, सर्टिफिकेट देगा लेकिन वैक्सीन राज्य देंगे.

रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि महामारी सबसे बड़ी चुनौती है. इससे निपटने का एक ही रास्ता है - वैक्सीन. सरकार वैक्सीन देने में तेजी लाए. सरकार निवेश और डिमांड बढ़ाए.

(ग्रैफिक्स: क्विंट हिंदी)

नंदन निलेकणी ने 31 अगस्त 2020 को कहा था कि रोज 50 लाख -1 करोड़ डोज देने का इन्फ्रा चाहिए. सप्लाई और डिलिवरी के लिए राष्ट्रीय मिशन होना चाहिए. देश को 7-8 महीने में 250 करोड़ डोज की जरूरत है.

महामारी का असर ये हुआ है कि कमाई कम हो रही है. मेडिकल बिल ज्यादा हो गए हैं. महंगाई ज्यादा और बचत कम हो गई है.

(ग्रैफिक्स: क्विंट हिंदी)

केंद्र सरकार चुनाव अनुकूल समय में बड़ा राहत पैकेज ला सकती है. सरकार अगर राहत पैकेज में थोड़ा जल्दी करे तो बेहतर होगा. कुल मिलाकर कहा जाए तो दूसरी लहर खत्म का जश्न नहीं, तीसरी के लिए जतन करने की जरूरत है.

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