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दिल्ली के मुकुंदपुर में रहने वाली 27 साल की शबनम की इच्छा है कि उनकी बेटी नरगिस बड़ी होकर डॉक्टर बने. उनके पति शौकत अली अपनी बेटी पर बहुत नाज करते हैं कि उनकी बेटी अंग्रेजी के सारे अक्षर बिना अटके बोल लेती है. शौकत पेशे से एक ड्राइवर हैं, जिनकी महीने की कमाई 7000 है. लेकिन इतने पैसे घर के खर्च और नरगिस की किताबों और स्कूल के बाकी सामान की पूर्ति करने के लिए कम पड़ते है.
डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीएस की परीक्षा देने से पहले नर्गिस को पास ही बने प्राइवेट स्कूल में दाखिले के लिए एग्जाम देना होगा, नरगिस उन 1,28,242 बच्चों में शामिल हैं, जो EWS यानि आर्थिक रूप से कम सक्षम लोगों के कोटे के तहत नर्सरी स्कूल में एडमिशन करवाना चाहते हैं.
शबनम की मुश्किल सिर्फ एक सिस्टम ने कुछ हद तक कम कर दी है. जिससे वो एक क्लिक से दिल्ली की 20 बड़े स्कूल में अपना एडमिशन का स्कूल चुन सकती है.
पिछले साल शबनम ने एडमिशन के लिए फॉर्म भरा था लेकिन उनका नाम चुने गए लोगों में नहीं था, वो इस साल फिर फॉर्म भर चुकी हैं. बदकिस्मती से दिल्ली सरकार की पिछली हफ्ते जारी हुई लिस्ट में नरगिस का नाम नहीं था, अगली लिस्ट मार्च या अप्रैल में जारी होगी.
मुकुंदपुर से करीब 15 किलोमीटर निहाल विहार नाम की कॉलोनी में रहती है सुशीला देवी. जो स्कूल के एडमिशन को लेकर रवैये से चिंता में हैं. सुशीला ने MCD के अंतर्गत आने वाले स्कूल में फॉर्म भरा था, लेकिन अब तक स्कूल से कोई जवाब नहीं मिला है.
क्विंट ने दिल्ली के तीन प्राइवेट स्कूलों से बात की. इनमें जसराम, सनशाइन और बाल विकास जहां सुशीला देवी ने इस साल फॉर्म भरे हैं, शामिल हैं. सनशाइन स्कूल के प्रिंसिपल ने इस मुद्दे पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है. वहीं जसराम स्कूल के मैनेजर गौरव गुप्ता कहते हैं कि-
बाल विकास स्कूल को कई बार कॉल करने पर भी बात नहीं हो पाई. लेकिन NDMC की मेयर प्रीती अग्रवाल से फोन पर बातचीत में वो कहती हैं कि-
2016 में केजरीवाल सरकार ने करीब 1,700 स्कूल में एडमिशन की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी थी.
हालांकि, दिल्ली के 1,000 स्कूल ऐसे हैं को MCD के अंडर आते हैं और जिन्हे बीजेपी कॉउंसलर संभाल रहे हैं जिन्होंने अब तक ऑनलाइन प्रक्रिया नहीं अपनाई है. जिससे सुशीला जैसे कई माता-पिता को अपने बच्चों का दाखिला कराने में मुश्किलें आ रही है.
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