advertisement
वीडियो प्रोड्यूसर / एडिटर: कनिष्क दांगी
"कोरोनाकाल के दौरान डॉक्टरों को इतना सराहा गया कि उनके लिए फूलों की बारिश करवाई गई, दीये जलाए गए और थालियां बजाई गईं, लेकिन अब हमारा स्वागत लाठियों और गंदी भाषा से किया जा रहा है..." ये कहना है जीबी पंत अस्पताल की रेजिडेंट डॉक्टर आरती पराशर का, जो NEET काउंसलिंग (NEET Counselling) को लेकर प्रदर्शन कर रहे हजारों डॉक्टरों में से एक हैं.
दिल्ली के सफदरजंग, एलएनजेपी और आरएमएल जैसे कई सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर पिछले लंबे समय से नीट काउंसलिंग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि जल्द से जल्द काउंसलिंग करवाई जाए, हर बार उन्हें आश्वासन देकर शांत कराया जाता है. लेकिन इस बार डॉक्टरों ने मांग पूरी होने तक प्रदर्शन करने का फैसला किया.
27 दिसंबर को जब दिल्ली में हजारों डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट तक मार्च निकाला तो, बीच में ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इस दौरान डॉक्टरों पर जमकर लाठीचार्ज हुआ और उन्हें हिरासत में लिया गया. पुलिस की सख्ती के ये वीडियो सामने आने के बाद पुलिस की तरफ से भी कहा गया कि 7 पुलिसकर्मी इस दौरान घायल हुए.
अब डॉक्टरों पर हुए इस लाठीचार्ज के बाद प्रदर्शन को और हवा मिली, इस घटना के बाद देशभर के डॉक्टर एकजुट हो गए और प्रदर्शन और ज्यादा बड़ा हो गया. हमने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से बातचीत की और जाना कि आखिर उनके गुस्से की वजह क्या है. जीबी पंत अस्पताल की रेजिडेंट डॉक्टर आरती पराशर ने बताया कि,
उन्होंने आगे कहा कि, डॉक्टरों पर ये जो लाठीचार्ज हुआ है उसे हम कतई स्वीकार नहीं करेंगे. हम ये सोच भी नहीं सकते थे कि डॉक्टरों के साथ ये हो सकता है. अगर सरकार की तरफ से सुनवाई नहीं हुई तो हम ये प्रदर्शन जारी रखेंगे.
जीबी पंत हॉस्पिटल में न्यूरो सर्जन महेश महाजन से बात करने पर उन्होंने बताया कि, अगर 100 मरीजों के लिए 20 डॉक्टर असाइन हैं और वहां सिर्फ 10 ही डॉक्टर काम कर रहे हैं, तो ऐसे में मिस मैनेजमेंट होगा. ऐसे में डॉक्टरों पर ही उंगली उठाई जाती है. अस्पताल प्रशासन पर उंगली नहीं उठती है. ये काफी गलत चीज है और काउंसलिंग होना जरूरी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)