GST चोरी इतना आसान है! देखिए सिस्टम में 4 खामियां

जीएसटी का मतलब: इज ऑफ डूइंग बिजनेस या इज ऑफ टैक्स चोरी?

पूनम अग्रवाल
न्यूज वीडियो
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जीएसटी का मतलब: इज ऑफ डूइंग बिजनेस या इज ऑफ टैक्स चोरी?
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जीएसटी का मतलब: इज ऑफ डूइंग बिजनेस या इज ऑफ टैक्स चोरी?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

बांके बिहारी एंटरप्राइजेज एक फर्जी कंपनी है जो महज 6 महीने के भीतर 1.45 करोड़ रुपये का GST लूटने में कामयाब रही और इस पैमाने पर धोखाधड़ी करने के लिए कंपनी के मालिक को सिर्फ एक GST रजिस्ट्रेशन नंबर ऑनलाइन हासिल करना था. जिसे उन्होंने केवल 72 घंटों में बिना किसी सरकारी वेरिफिकेशन के हासिल कर लिया.

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कंपनी, इसकी धोखाधड़ी, इसकी लूट पर GST अधिकारियों का ध्यान तब गया जब इसने GST रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया और गायब हो गई. मतलब, बहुत देर हो गई. जब GST अधिकारियों ने घोटाले की जांच की तो ये पाया गया कि बांके बिहारी एंटरप्राइजेज ने फर्जी रसीद का उपयोग करके लाखों रुपये लूटे.

  • इस GST धोखाधड़ी का पहला सबूत-फर्म के वित्तीय लेनदेन से आया. अपने GST रिटर्न या GSTR में कंपनी ने 9.6 करोड़ रुपये से अधिक का माल बेचने का दावा किया है जो खरीदे गए माल की कीमत से अधिक है, जो केवल 2.6 लाख था, लेकिन ये संभव नहीं है.
  • दूसरा सबूत ये था कि बांके बिहारी एंटरप्राइजेज का कोई ऑफिस नहीं था! जब GST अधिकारियों ने हरियाणा के कुंडली में कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस के पते पर दौरा किया तो वहां कोई ऑफिस नहीं था!
  • तीसरा सबूत ये था कि बांके बिहारी एंटरप्राइजेज ने कभी भी किसी कंपनी को सामान खरीदा या बेचा नहीं उसने जो बेचा वो कई कंपनियों के लिए नकली चालान था.

भारत में केवल बांके बिहारी एंटरप्राइजेज की तरह एक फर्म नहीं है, वास्तव में, ऐसी हजारों फर्जी फर्में हैं. जुलाई 2017 और जनवरी 2020 के बीच अकेले GST कर चोरी के कारण केंद्र सरकार को 35,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है

नकली GST चालान का रैकेट कैसे काम करता है? वो भी GST अधिकारियों की नाक के नीचे?

अधिकारियों को दिए गए अपने GST रिटर्न में बांके बिहारी एंटरप्राइजेज ने कुंडली में स्थित एक फर्म 'बी' को इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचने का जिक्र किया, जिसकी कीमत 2.23 करोड़ रुपये थी, साथ ही, फर्म 'बी' को माल बेचने के लिए सरकार को 34 लाख रुपये से अधिक 34,05,575 रुपये की कुल राशि का जिक्र किया गया है.

क्योंकि बांके बिहारी और फर्म ‘बी’ के बीच माल की वास्तविक आवाजाही नहीं है इसलिए सरकार को टैक्स का भुगतान करने का दावा भी फर्जी है. फिर भी, हालांकि बांके बिहारी ने सरकार को GST के रूप में एक रुपये का भुगतान नहीं किया है, लेकिन फर्म ‘बी’ को 34 लाख रुपये से अधिक (34,05,575) के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलता है, कैसे? बस इसके GST रिटर्न में फर्जी चालान दिखाकर...

केवल एक फर्जी लेनदेन में सरकार ने 34 लाख रुपये से अधिक का GST कलेक्शन खो दिया, जिसे अगर कोशिश की भी जाए तो लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही हासिल किया जा सकता है

बांके बिहारी एंटरप्राइजेज ने कई कंपनियों के साथ 11 ऐसे लेन-देन किए, जिसके कारण 1.45 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी हुई.

कैसे बनती हैं ये नकली फर्म्स?

GST ऑफिसर के अनुसार-

आम तौर पर, एक अकेला व्यक्ति जिसे हम मास्टरमाइंड कह सकते हैं, कई नकली फर्म्स स्थापित करता है. मास्टरमाइंड क्या करता है- व्यक्ति ‘ए’ को पकड़ लेता है, अक्सर जिसको पैसे की जरूरत होती है, मास्टरमाइंड व्यक्ति A को महीने में 15-20 हजार का भुगतान करता है और GST रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त करने के लिए व्यक्ति A के पैन नंबर और बैंक खाते के विवरण का उपयोग करता है. ये घोटाला साल में 6 महीने तक चलता है और ये मास्टरमाइंड कभी भी इन फर्जी फर्मों को बनाते और संचालित करते समय अपने व्यक्तिगत विवरण का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

GST प्रणाली में कौन सी प्रमुख खामियां हैं जिससे ऐसे घोटाले होते हैं?

  • लगभग कोई फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया जाता- पैन नंबर, बैंक खाता संख्या, कंपनी के कार्यालय का पता आदि जैसी जानकारी आवेदक के ऑनलाइन अपलोड किए जाने के 3 दिनों के भीतर एक GST रजिस्ट्रेशन नंबर ऑटोमेटिक जारी किया जाता है. लेकिन जैसा कि हमने अभी देखा इन जानकारी को नकली फर्म बनाने के लिए खरीदा जा सकता है फिर भी, GST अधिकारियों ने क्विंट को पुष्टि की कि आवेदकों के दर्ज किए गए विवरणों का फिजिकल वेरिफिकेशन लगभग कभी नहीं होता है.
  • फर्जी फर्म के पैन नंबरों को ब्लैकलिस्ट नहीं किया जाता है, मिसाल के तौर पर बांके बिहारी एंटरप्राइजेज द्वारा इस्तेमाल किया गया. पैन नंबर ब्लैकलिस्ट या ब्लॉक नहीं किया गया था तो, उस पैन नंबर के मालिक एक और नकली फर्म बनाने और GST से बचने के लिए आजाद हैं.
  • GST अधिकारियों ने हमें ये भी बताया कि नकली चालान के इस पूरे रैकेट में फर्जी फर्मों के मास्टरमाइंड सामान्य रूप से बच जाते हैं. एक डमी व्यक्ति के पैन नंबर और बैंक विवरण का गलत इस्तेमाल किया जाता है जो बाद में पकड़ा जाता है.
  • GST अधिकारी टैक्स क्रेडिट का पीछे से वेरिफिकेशन नहीं करते हैं किसी भी कंपनी को टैक्स क्रेडिट जारी करने से पहले GST अधिकारियों को लेनदेन चेक चाहिए कि क्या कंपनी ने वास्तव में GST का भुगतान किया है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

2 मार्च 2020 को वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि- जिस दिन GST की शुरुआत की गई थी यानी-1 जुलाई 2017 को और जनवरी 2020 के बीच केंद्रीय GST अधिकारियों को 70,206 करोड़ रुपये की GST चोरी का पता चला था, 34,591 करोड़ रुपये वसूले गए ढाई साल में 35,000 करोड़ से अधिक का नुकसान!

लेकिन कृपया ध्यान दें- इस आंकड़े में भारत के राज्यों में GST चोरी शामिल नहीं है GST इंटेलिजेंस विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ये आंकड़ा हजारों करोड़ में भी हो सकता है

सवाल है- क्या सरकार GST प्रणाली में इन कमियों को ठीक करने पर काम कर रही है? अगर हां तो कब से? अगर नहीं तो और अधिक कंपनियों के लिए तैयार रहें बार-बार सरकार को घोटाले और लूटे जाने के लिए जैसे कि बांके बिहारी एंटरप्राइजेज.

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Published: 17 Sep 2020,05:31 PM IST

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