Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019डॉक्टरों पर क्यों कम हो रहा मरीजों का भरोसा? - UP से रियलिटी चेक

डॉक्टरों पर क्यों कम हो रहा मरीजों का भरोसा? - UP से रियलिटी चेक

क्यों बिगड़ रहे हैं डॉक्टर और मरीजों के बीच रिश्ते?

विक्रांत दुबे
न्यूज वीडियो
Updated:
2018 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज सुर्खियों में रहा था. ऑक्सीजन की कथित कमी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी.
i
2018 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज सुर्खियों में रहा था. ऑक्सीजन की कथित कमी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी.
(फोटो: कनिष्क दांगी/क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

हाल में हुई कई घटनाओं को देखते हुए लग रहा है कि देश में डॉक्टर और मरीज के बीच रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं.

कोलकाता के NRS मेडिकल कॉलेज में 10 जून की रात एक मरीज की मौत के बाद उसके परिवार वालों ने डॉक्टरों पर हमला बोल दिया था. इसमें जूनियर डॉक्टर परिबाह मुखोपाध्याय के सिर पर गहरी चोट लगी थी.

परिबाह और दूसरे डॉक्टरों पर हुए हमले के बाद बंगाल में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन चला. मारपीट के मामले ने देशभर के डॉक्टरों को अस्पताल छोड़ अपनी सुरक्षा की मांग के लिए सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया था.

इस घटना के मद्देनजर हमने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों से बातचीत कर वहां का हाल जानने की कोशिश की.

साल 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज सुर्खियों में रहा था. तब वहां कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी.

अगर हम डॉक्टर और मरीज के अनुपात की बात करें, तो डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर इलाज के लिए होना चाहिए. यूपी में ये रेश्यो कभी बैलेंस नहीं रहा, बल्कि अब ये कई गुना बढ़ चुका है. लिहाजा डॉक्टरों पर मरीजों का प्रेशर भी बढ़ता जा रहा है. यहां तक कि नौबत मारपीट तक आ जाती है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर आशुतोष का कहना है कि कोई भी डॉक्टर ये नहीं चाहेगा कि उसके मरीज की हालत खराब हो और किसी डॉक्टर के पास इतना समय नहीं होता कि वो मारपीट जैसी चीजों में उलझे.

डॉक्टरों की विशेष सुरक्षा की मांग

देखा जाए तो कोलकाता ही ऐसा शहर नहीं है, जहां डॉक्टरों से मारपीट का मामला सामने आया हो. अगर किसी भी पेशेंट की तबीयत खराब होती है, तो उसके परिजन दोष की गठरी लिए डॉक्टर के सिर चढ़ जाते हैं. हालत अब यह है कि हर मर्ज का इलाज करने वाले डॉक्टर्स अब अपने दिल में खौफ लिए जी रहे हैं और प्रशासन से अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.

कोलकाता जैसी घटनाएं यूपी में भी देखने को मिली हैं:

  • अक्टूबर 2017- जालौन के मेडिकल कॉलेज में हंगामा
  • सितंबर 2018- आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में मारपीट
  • सितंबर 2018- वाराणसी के बीएचयू में बवाल
  • अगस्त 2018- कानपुर मेडिकल कॉलेज में मारपीट
“हम लोगों के साथ ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. कई बार ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें कुछ भी करके बचाना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन मरीज के घरवालों को समझाना मुश्किल होता है.”
डॉक्टर संगम दीनानाथ, जूनियर डॉक्टर

यूपी के अधिकांश मेडिकल कॉलेज जूनियर डॉक्टरों के भरोसे चलते हैं. उन्हें अस्पताल में 24 से 36 घंटे काम करना पड़ता है और कई महीनों तक उन्हें साप्ताहिक छुट्टी भी नहीं मिलती. देश के अधिकांश अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है. बिगड़ते अनुपात से डॉक्टर और मरीज के बीच का संबंध भी बिगड़ता जा रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 01 Jul 2019,04:28 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT