Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 इस दिल्ली में बसेरे ही नहीं सपने भी टूटे, कोर्ट का आदेश भी ध्वस्त

इस दिल्ली में बसेरे ही नहीं सपने भी टूटे, कोर्ट का आदेश भी ध्वस्त

क्या स्लम वालों के लिए दिल्ली में कोई जगह नहीं?

आकांक्षा कुमार
न्यूज वीडियो
Published:
दिल्ली की झुग्गियों में रहने वालों का सवाल- हम गरीब हैं, कहां जाएं?
i
दिल्ली की झुग्गियों में रहने वालों का सवाल- हम गरीब हैं, कहां जाएं?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

कैमरा: आकांक्षा कुमार

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान/दीप्ति रामदास

29 साल की यास्मीन अपने घर में सो रही थीं. उन्हें बाहर निकलने के कहा गया. यास्मीन टीबी की मरीज हैं, इसलिए सामान भी नहीं निकाल पाईं. उनकी झुग्गी तोड़ दी गई. ये काम किया रेलवे पुलिस ने. जगह थी दिल्ली की शकूरपुर बस्ती.

31 मई 2019, दिल्ली की शकूरपुर बस्ती में बुलडोजर घुसे और कुछ ही घंटों में रेलवे लेन के करीब एक दर्जन से ज्यादा झुग्गियों को तोड़ दिया गया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हर साल लोग अपने शहर और गांव से महानगरों में नौकरी की तलाश में आते हैं. लेकिन बड़े-बड़े सपने लेकर देश की राजधानी में आने वाले लोगों के ख्वाब कैसे टूटते हैं, इसका एक उदाहरण ये है कि 2018 में लगभग 2 लाख लोगों को जबरदस्ती उनकी झुग्गियों से निकाला गया.

शकूरपुर बस्ती की बात करें तो दिल्ली हाईकोर्ट के 2019 मार्च के फैसले को ठीक से फॉलो नहीं किया गया. कोर्ट ने साफ किया था कि तोड़-फोड़ से पहले झुग्गियों में रहने वाले लोगों को कहीं और बसाया जाए. लेकिन शकूरपुर बस्ती में लोगों को तोड़फोड़ से पहले इसका मौका नहीं दिया गया. पांच दिन पहले नोटिस फिर सीधे तोड़फोड़.

क्विंट ने दिल्ली के मल्लाह गांव में रहने वाले किसानों से भी बातचीत की, उनका कहना है कि वो खेती नहीं कर सकते, डीडीए ने बायोडायवर्सिटी पार्क के लिए जमीन अधिग्रहित की है और इस जमीन पर अब फसलों की जगह सजावटी पौधे लग चुके हैं.

लेकिन इन तोड़-फोड़ के बीच शहरों और गांव से महानगरों में नौकरी की तलाश में आए इन लोगों के बारे में कौन सोचेगा? क्या इनकी झुग्गियां बिना किसी पुनर्वास योजना के यूं ही तोड़ दी जाएंगी? क्या सरकार के पास सिर्फ यही विकल्प है? या सरकार को अपनी हाउसिंग और पुनर्वास पॉलिसी को बदलनी चाहिए?

आखिर ये दिल्ली किसकी है? क्या स्लम वालों या किसानों के लिए यहां कोई जगह नहीं? क्या प्रवासियों को 'शहर का अधिकार' मिलेगा?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT